हरिद्वार के मेला सभागार में हुई बैठक में गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन ने अधिकारियों को साफ कहा कि कुंभ कार्यों को 300 से 400 करोड़ के बजट में निपटाना होगा। इसलिए विभाग सीमित बजट को देखते हुए योजना को तैयार करें। उन्होंने कहा कि बेफिजूल की योजनाओं के बजाय केवल कुंभ आयोजन से जुड़ी व्यवस्थाओं को कार्ययोजना में शामिल किया जाए।
बता दें कि कुंभ 2010 के आयोजन में 672 करोड़ रुपये का बजट खर्च हुआ था। वहीं अर्धकुंभ 2016 में हरीश रावत सरकार ने कुंभ के आयोजन के लिए 365 करोड़ का बजट जारी किया था। इस बार विदेशी नागरिकों के साथ दोगुनी संख्या में यात्रियों के कुंभ स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में सीमित बजट से कुंभ के काम कैसे होंगे, यह सवाल उठने लगा है।
सरकार ने कुंभ 2021 के लिए कुंभ क्षेत्र में करोड़ों रुपये से स्थाई कार्य कराने का दावा किया था। दावे को देखते हुए विभागों ने योजना भी तैयार की थी। लेकिन केंद्र से बजट नहीं मिला तो अब योजना अधर में लटक गई। सीसीआर में हुई बैठक में गढ़वाल आयुक्त ने बजट की कमी को देखते हुए अधिकारियों को कार्यों में कटौती करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कुंभ क्षेत्र की व्यवस्थाओं पर केंद्रित योजनाओं को ही मंजूरी दी जाएगी।
यह भी कहा कि पेयजल और सीवर लाइनों को बदलना, विभागीय दैनिक कामों से जुड़ी मशीनों और वाहनों की खरीद, गलियों- मोहल्लों की सड़कों और अन्य स्थाई कार्यों को योजनाओं में शामिल नहीं किया जाए। अगर गाड़ी या मशीनरी किराए पर किफायती सबित होती अनावश्यक खरीद से बचा जाए। कहा कि सफाई श्रमिकों और पीआरडी की तैनाती भी केवल चार माह के लिए होनी चाहिए। जिससे उनपर होने वाले अतिरिक्त खर्च को बचाया जा सके। उन्होंने बेफिजूल की योजनाओं पर कई अधिकारियों को फटकार लगाते हुए संसोधन के निर्देश भी दिए।
हरीश रावत ने की थी मांग, एक हजार करोड़ मिलें
हाल ही में हरीश रावत ने कुंभ के आयोजन को महत्वपूर्ण मानते हुए केंद्र सरकार से एक हजार करोड़ का बजट जारी करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि डबल इंजन की सरकार में कुंभ के लिए बजट की कमी तो नहीं होनी चाहिए।