कोरोना वायरस के हर दिन बढ़ते संक्रमण के बीच पूरी दुनिया को इसकी वैक्सीन का इंतजार है। जल्द से जल्द इस वायरस की वैक्सीन तैयार हो, इसके लिए दुनियाभर के कई देश लगे हुए हैं। हर नई सुबह के साथ लोग वैक्सीन की प्रगति को लेकर ताजा स्थिति जानना चाहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों बताया था कि दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन पर शोध चल रहे हैं। बहुत सारे देश और कंपनियां वैक्सीन को लेकर शुरुआती स्टेज में हैं तो कुछ कंपनियां वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल यानी इंसानी शरीर पर परीक्षण तक पहुंच गई हैं। कुछ वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल चल भी रहा है। हम आपको बताते हैं कि वैक्सीन को लेकर ताजा अपडेट क्या हैं।
भारत समेत अमेरिका, चीन, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन जैसे देश जल्द से जल्द वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। वहीं, इजरायल और नीदरलैंड्स में भी वैज्ञानिक एंटीबॉडी आइसोलेट करने में कामयाब हुए हैं। ये एंटीबॉडी मरीज के शरीर में वायरस से लड़ता है, जबकि वैक्सीन पहले से ही शरीर को बीमारी से लड़ने में सक्षम बना देता है। वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है और कितनी जल्दी इसका नतीजा दिख सकता है, इस बारे में हम यहां बता रहे हैं।
1. ब्रिटेन: ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन
शुरुआत करते हैं ब्रिटेन से, जिसके लिए वैक्सीन भारत में ही तैयार होनी है। विश्वप्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इस पर रिसर्च कर रहा है कि ‘मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम- MERS’ के लिए डेवलप की गई वैक्सीन कोरोना पर कितनी असरदार होगी। ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन शरीर को वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने में मदद करता है। शरीर में संक्रमण फैलाने के लिए कोरोना वायरस इसी स्पाइक प्रोटीन से सेल्स को जकड़ता है।
वैक्सीन किस फेज में है?
मर्स (MERS) के लिए पहले से ही तैयार यह वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में है। 800 लोगों पर इसका ट्रायल चल रहा है। भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ट्रायल शुरू होने के साथ ही वैक्सीन बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी की है, ताकि पॉजिटिव रिजल्ट आते ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया जाए। कहा जा रहा है कि अगर इंसानों पर इसका ट्रायल सफल रहता है तो अक्टूबर तक यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी।
2. चीन: पाइकोवैक वैक्सीन
चीन की सिनोवेक बायोटेक ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन बंदरों पर प्रभावी साबित हुई है। पाइकोवैक नाम की ये वैक्सीन शरीर में इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने पर जोर देती है और ये एंटीबॉडी वायरस को खत्म करने लगती है। शोधकर्ताओं ने एक खास प्रजाति के बंदरों (रीसस मैकाक्स) को यह वैक्सीन लगाई और तीन हफ्ते बाद बंदरों में कोरोना वायरस इंजेक्ट कराया गया। एक हफ्ते बाद देखा गया कि वैक्सीन वाले बंदरों के फेफड़ों में वायरस नहीं मिला, जबकि अन्य बंदर निमोनिया से ग्रसित हो चुके थे।
वैक्सीन डेवलपमेंट?
चीन की सिनोवैक कंपनी का कहना है कि वे वैक्सीन क्लीनिकल ट्रॉयल के फर्स्ट फेज यानी प्रथम चरण में हैं। बंदरों पर प्रभावी परिणाम उत्साहजनक है और अब वैक्सीन का इंसानी शरीर पर ट्रायल किया जाएगा।
3. जर्मनी: BNT162 वैक्सीन
जर्मनी में जर्मन कंपनी बायोएनटेक और अमेरिका की फाइजर कंपनी मिलकर BNT162 नाम की एक वैक्सीन डेवलप कर रही है। इस वैक्सीन में एमआरएनए यानी जेनेटिक मटीरियल मेसेंजर आरएनए का इस्तेमाल किया गया है। जेनेटिक कोड एमआरएनए, शरीर के सेल को प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है ताकि वे वायरस प्रोटीन की नकल करें और इम्यून रिसपॉन्स पैदा हो।
वैक्सीन डेवलपमेंट?
यह वैक्सीन अभी क्लिनिकल ट्रायल में है। 12 वॉलेंटियर पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। अगले चरण में 18 से 55 साल की आयु के करीब 200 लोगों में डोज बढ़ाकर प्रभाव देखा जाएगा।
4. mRNA-1273 वैक्सीन
वैक्सीन बनाने की रेस में अमेरिका भी अगली कतार में है। यहां की बायोटेक कंपनी मॉडर्ना के सहयोग से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीज (NIAID) mRNA-1273 वैक्सीन बना रहा है। यह भी एमआरएनए आधारित वैक्सीन है, जिसके पॉजिटिव परिणाम आने की उम्मीद की जा रही है।
वैक्सीन डेवलपमेंट: इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुका है।
5. इटली: चूहों पर कारगर, इंसानों पर दावा
इटली की बॉयोटेक कंपनी टैकिज ने एक ऐसा वैक्सीन डेवलप किया है, जो सबसे एडवांस स्टेज पर है। दावा है कि यह पहली बार है, जब वैक्सीन ने कोरोना वायरस को न्यूट्रलाइज किया है। दस वैक्सीन से चूहों में एंटीबॉडी विकसित हुए हैं और दावा है कि इंसानी शरीर में भी वैक्सीन कारगर साबित होगी।
वैक्सीन डेवलपमेंट:
इटैलियन न्यूज एजेंसी एएनएसए के मुताबिक, टैकिज के सीईओ का कहना है कि जल्द ही इस वैक्सीन का इंसानी शरीर पर परीक्षण शुरू होगा।
भारत की तैयारी
देश में आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ मिलकर वैक्सीन बना रहा है। पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में अलग किए गए वायरस स्ट्रेन का प्रयोग किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक, देश में 14 वैक्सीन पर काम हो रहा है, जिसमें से छह की प्रगति अच्छी है।
सीरम इंडिया के ईडी डॉ. सुरेश जाधव के मुताबिक, वैक्सीन ट्रायल के मूलत: चार फेज होते हैं। फिलहाल अधिकांश वैक्सीन क्लिनिकल और ह्यूमन ट्रायल के पहले और दूसरे फेज के बीच हैं। इनमें स्वस्थ लोगों को वैक्सीन लगाए जाते हैं।
तीसरे फेज में एक कंट्रोल्ड ग्रुप भी शामिल होता है, जिसके साथ वैक्सीन लगाए गए लोगों की तुलना की जा सके। यह चुनौती भरा चरण है, जिसमें इन्हें वायरस फैल रही जगहों पर रखा जाता है। इसके बाद अलग डोज और अलग परिस्थिति में परिणाम देखे जाते हैं। सबकुछ ठीक रहा तो वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाता है।