कोरोना महामारी से बचाव के लिए कुंभ विसर्जन की घोषणा के बाद श्री निरंजनी और आनंद अखाड़े की छावनियां शनिवार को खाली हो गईं। कल्पवास पर आए संत छावनियां छोड़कर अपने-अपने प्रदेशों और शहरों में रवाना हो गए। जूना और उसके सहयोगी अखाड़ों की छावनियां भी रविवार से खाली होनी शुरू हो जाएंगी। अखाड़ों में रहने वाले संत ही 30 अप्रैल तक कुंभ के सांकेतिक आयोजन करेंगे।
श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि उनकी ओर से 17 अप्रैल से कुंभ विसर्जन की घोषणा की गई थी। शनिवार सुबह आठ बजे से अखाड़े के पास लगी छावनियां खाली होनी शुरू हो गईं। श्रीमहंत रविंद पुरी खुद संक्रमित हैं और अखाड़े में आइसोलेट हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को हजारों संत अपने शहरों को लौट गए। करीब 500 संत अखाड़े में प्रवेश कर गए हैं। संतों के साथ भंडारी, पुजारी और उनके भक्त भी लौट गए हैं। उधर, जूना अखाड़े की घोषणा के बाद सहयोगी अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़े की छावनियां भी रविवार से खाली होनी शुरू हो जाएंगी। जूना अखाड़े के मीडिया प्रवक्ता गोपाल रावत ने बताया कि रविवार से बाहर से आए संत रवाना होंगे। अखाड़ों से जुड़े संत अखाड़ों में आ जाएंगे।जूूना अखाड़े की बैठक में इनकी रही मौजूदगी
अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती, सचिव श्रीमहंत मोहन भारती, श्रीमहंत महेशपुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि, गादीपति पृथ्वी गिरि, श्रीमहंत शैलजा गिरि, श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती, श्रीमहंत निरंजन भारती, श्रीमहंत भल्ला गिरि, थानापति नीलकंठ गिरि, श्रीमहंत केदारपुरी, श्रीमहंत मछंदरपुरी, श्रीमहंत आनंदपुरी आदि।

घाटों पर कम हुई श्रद्धालुओं की भीड़
कोविड के बढ़ते संक्रमण लगातार लागू हो रहीं पाबंदियों को देखते हुए कुंभनगरी के घाटों पर भीड़भाड़ कम होने लगी है। शनिवार को हरकी पैड़ी समेत अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ काफी कम रही। हरकी पैड़ी छोड़ बाकी घाटों पर श्रद्धालु नजर ही नहीं आए। आज रविवार को कर्फ्यू है। सोमवार से भीड़ और कम होने की उम्मीद है।

 

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