रायपुर. राजधानी के आकाशवाणी चौक के मुख्य मार्ग पर काली माता का जो भव्य मंदिर है, उस जगह पर कभी नागा साधु भी धुनी रमा चुके हैं। माता के मंदिर से ऐसी मान्यता जुड़ी हुई है कि जिस जगह पर नागा साधुओं ने पत्थर के निशान रखे थे, उसी जगह पर मां काली का गर्भ गृह बनाया गया है। जिसकी मान्यताएं कोलकाता के काली माता से जुड़ी हुई है। नवरात्रि के पर्व के दौरान मन्नतों की हजारों ज्योति जगमग है। पूजा आरती करने हर दिन भक्तों की भीड़ लगती है।
मंदिर सेवा समिति के फाउंडर सदस्य प्रोफेसर डीके दुबे बताते हैं कि काली माता के दरबार में भक्तों की गहरी आस्था है। वर्ष 1975 से 1976 में मंदिर का निर्माण हुआ। उस दौरान यह स्थान जंगल था। आज भव्य दरबार सजा हुआ है। आस्था ऐसी कि जो प्रवासी भारतीय के रूप में विदेशों में रह रहे हैं, उनकी आस्था की ज्योति भी यहां जलती है। पंजीयन राशि सीधे ट्रस्ट कमेटी के खाते में यह उनके परिचित या परिवार के लोग जमा करते हैं। इस नवरात्रि पर्व में 3601 मनोकामना ज्योति कलश स्थापित है। हर दिन माता के अलग-अलग स्वरूप का अभिषेक पूजन किया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
मां चंद्रघंटा को 1008 गुलाब पुष्प अर्पित
शंकराचार्य स्वरूपानंद आश्रम में स्थापित भगवती राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का नवरात्रि पर्व के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा स्वरूप का विशेष पूजन ज्योतिष वेद ब्रह्मचारी डॉ इंदु भवानंद ने किया। वेद मंत्रोच्चार आचार्य धर्मेंद्र एवं भूपेंद्र पांडे ने किया। पूजन के बाद डॉ इंदु भवानंद महाराज ने उपस्थित सभी भक्तों को चरणामृत दिए तथा भगवती के चरणों में 1008 गुलाब पुष्प भक्तों को आशीर्वाद स्वरुप प्रदान की है।
भक्ति में लीन जस गीतों की धूम
नवरात्रि पर्व की तिथियों में जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है माता की भक्ति में श्रद्धालु लीन हो रही है। देवी मंदिरों में जसगीत और जगराता का माहौल है। सुबह से देर रात तक देवी मंदिरों में भक्तों की कतार लग रही है।