नई दिल्ली। नागा साधुओं (Naga Sadhu) का नाम सुनते ही हठी योगी का चेहरा ध्यान आता है। पूरे तन पर भस्म रमाए, निर्वस्त्र होकर मोह माया को त्यागने वाले नागा साधुओं का जीवन बेहद ही कठिन होता है। इन्हें न सिर्फ रिश्ते नाते छोेड़ने पड़ते बल्कि कई त्याग भी करने पड़ते हैं। उन्हें नागा साधु व्रत का पालन करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अपनी जटाओं का खास ध्यान रखना पड़ता है। आज हम आपको नागा साधुओं की जटाओं (Hairs) से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।

नागा साधुओं को हमेशा लंबी जटाएं रखनी होती है। खासतौर पर वीर शैव नागा संन्यासियों (Sanyasi) को इस बात का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि उनके योगी होने की परंपरा को दर्शाते हैं। उन्हें अपनी जटाओं को बिना किसी भौतिक सामग्री के उपयोग के संवारना होता है। नागा साधुओं की जटाएं करीब 10 फ़ीट तक लंबी होती है। इसलिए इन्हें रेत और भस्म से संवारा जाता है। नागा साधु केवल एक ही परिस्थिति में बाल कटवा सकते हैं वो है उनके गुरू की मृत्यु। अपने गुरू के सम्मान के लिए उनके शिष्य को अपने बालों को भी त्याग करना पड़ता है।

नागा साधुओं के सत्रह श्रृंगारों में पंच केश का बहुत महत्व है। इसमें बालों को 5 बार घुमा कर लपेटा जाता है। ये पंच तत्व की निशानी होती है। इतनी लंबी जटाएं बढ़ाने में एक साधु को तकरीबन 30 से 40 साल तक का वक्त लगता है। कई नागा साधु अपनी जटाओं का संकल्प लेते हैं। जिसके तहत वे लगातर अपनी जटाए बढ़ाते रहते हैं। तो वहीं कुछ साधु अपनी जटाओं पर रुद्राक्ष बांधते हैं। चूंकि नागा साधुओं का बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं होता है इसलिए इन्हें अपने तन पर भस्म रमाना पड़ता है।

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