ठंड और कोहरे का असर स्कूलों और दफ्तरों की उपस्थिति पर भी देखने को मिला। सुबह के समय स्कूल जाने वाले बच्चों को भारी ठंड का सामना करना पड़ा। कई अभिभावकों ने बच्चों को अतिरिक्त गर्म कपड़े पहनाकर स्कूल भेजा। वहीं, दफ्तरों में भी कर्मचारियों की आवाजाही देर से शुरू हुई। बाजारों में सुबह के समय सन्नाटा पसरा रहा और दोपहर बाद ही कुछ रौनक लौटी।
घने कोहरे के कारण सड़क यातायात भी प्रभावित हुआ।
हाईवे और प्रमुख मार्गों पर वाहन चालकों को धीमी गति से चलना पड़ा। कई जगहों पर वाहन चालकों ने हेडलाइट और फॉग लाइट का सहारा लिया। रेलवे और बस सेवाओं पर भी कोहरे का असर पड़ा, जिससे कुछ ट्रेनें और बसें देरी से चलीं। डॉक्टरों के अनुसार, इस तरह की ठंड और कोहरे की स्थिति में बुजुर्गों, बच्चों और सांस के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सर्दी, खांसी, जुकाम और सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में इजाफा हो सकता है। चिकित्सकों ने लोगों को गर्म कपड़े पहनने, गर्म पेय पदार्थ लेने और अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने की सलाह दी है।
हवाओं की तेज रफ्तार ने प्रयागराज में ठंड का प्रकोप अचानक बढ़ा दिया है। बृहस्पतिवार को दिन भर भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हो सके। घने कोहरे और गलन भरी ठंड ने जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया। अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग ने अगले एक सप्ताह तक घने कोहरे और कड़ाके की ठंड की चेतावनी जारी की है, जिससे आम लोगों की परेशानियां और बढ़ने की आशंका है।ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। बृहस्पतिवार को पूरे दिन भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हो सके। उत्तर-पश्चिम दिशा से चलने वाली ठंड हवाओं ने वातावरण में नमी बढ़ा दी, जिसके चलते कोहरे की चादर पूरे शहर पर छा गईं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, पछुआ हवाएं जब मैदानी इलाकों में सक्रिय होती हैं तो तापमान में अचानक गिरावट देखने को मिलती है, और यही स्थिति फिलहाल प्रयागराज में बनी हुई है।
ठिठुरते रहे लोग, अलाव बने सहारा
ठंड और कोहरे के इस दोहरे प्रहार से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। सुबह-सुबह काम पर निकलने वाले लोग, रिक्शा चालक, ठेला दुकानदार, मजदूर और छात्र-छात्राएं ठंड से ठिठुरते नजर आए। शहर के कई इलाकों में लोग अलाव जलाकर ठंड से बचने की कोशिश करते दिखे। हालांकि, कई स्थानों पर अलाव की व्यवस्था न होने से गरीब और जरूरतमंद वर्ग को अधिक परेशानी झेलनी पड़ी।