भारत की करीब 15 दिनों की यात्रा के बाद रूसी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे। आश्रम में प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात की। आश्रम की ओर से प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को स्मृति स्वरूप रुद्राक्ष का पौधा भेंट की गई।स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज की वैश्विक चुनौतियां चाहे वे पर्यावरणीय हों, सामाजिक हों या मानसिक का समाधान केवल बाहरी विकास में नहीं, बल्कि आंतरिक जागरूकता और करुणा में निहित है। मां गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि जीवनदायिनी चेतना हैं। मां गंगा की रक्षा करना केवल भारत का नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता का दायित्व है। जब हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तब वास्तव में हम अपने भविष्य की रक्षा करते हैंप्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने साझा किया कि भारत की इस यात्रा में उन्हें भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और जीवन दर्शन को गहराई से समझने का अवसर मिला है। भविष्य में भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और मानवीय संवाद और अधिक सुदृढ़ होगा। इस मौके पर रशियन दल के प्रमुख मिखाइल अस्लोव, यूलिया, अन्ना आदि शामिल रहे।