सर्दी से बचाव के लिए ठाकुरजी की पोशाक में बदलाव करने के साथ अंगीठी भी जलाई जा रही है। भोग के व्यंजनों में केसर, मेवाओं को शामिल किया जा रहा है।

वहीं जयपुरी रजाई एवं हाथों एवं चरणों में मखमली एवं ऊनी मोजे धारण कराए जा रहे हैं। ठाकुरजी को दूध एवं खीर में केसर और मेवा को शामिल किया जाने लगा है। मंदिर की रसोई में सेवायत ठाकुरजी के लिए तिल एवं मेवाओं के लड्डू, हलवा और खीर बना रहे हैं। सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि सुबह और शाम श्रीजी के समक्ष अंगीठी की सेवा बसंत पंचमी तक निरंतर की जाएगी।