
प्रसिद्ध कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर और अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि देश में मदरसे नहीं बल्कि गुरुकुल खुलने चाहिए ताकि युवा संस्करवान बन सकें। उन्होंने कहा कि मठ-मंदिरों को मांस, मदिरा से दूर रखा जाए। इससे इनमें आने वाले लोगों के उद्देश्य पूरे हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि समय है सचेत हो जाएं अन्यथा बाद में पश्चाताप करना होेगा।
तीर्थ सेवा न्यास की ओर से स्थापित किए जा रहे ऐतिहासिक विश्व सनातन महापीठ की उद्घोषणा और शिला पूजन के दौरान देश के कई संत महंत और कथा वाचक जुटे। इनमें शिला पूजन कार्यक्रम किया गया और वैदिक विधि-विधान से कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसमें चार प्रस्ताव भी पारित किए गए।
कथा वाचक डाॅ. अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि बच्चों को स्कूलों में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जीवन चरित्र पढ़ाया जाए, अकबर और बाबर का नहीं। शिक्षा में विज्ञान भी हो और रामचरित्र का वर्णन हो, मानस, गीता व रामायण भी पढ़ाई जाए। इससे बच्चे भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत शिक्षा हासिल कर सकेंगे।
सुबह नौ बजे से शुरू हुए कार्यक्रम वैदिक आचार्यों, गुरुकुल चौटिपुरा के ब्रह्मचारियों और आचार्य मंडल की ओर से वैदिक मंत्रोच्चारण, हवन और शांति पाठ के साथ पूरा परिसर दिव्य वातावरण से गूंज उठा। सभी संत-महापुरुषों ने एक स्वर में कहा कि विश्व सनातन महापीठ आने वाली पीढ़ियों तक सनातन संस्कृति, धर्म, कला, ज्ञान, और सेवा को सुरक्षित रखने का वैश्विक केंद्र बनेगा।
संत-सम्मेलन में तीर्थ सेवा न्यास और विश्व सनातन महापीठ की ओर से गो माता को राष्ट्र माता का दर्जा देने, भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून तत्काल लागू करने, देश में समान नागरिक संहिता लागू करने और देश में ‘एक देश एक शिक्षा’ नीति लागू करने का प्रस्ताव पारित किए गए।
इस मौके पर तीर्थ सेवा न्यास अध्यक्ष सिद्ध बाबा हठयोगी, सचिव राम विशाल दास महाराज ने संकल्प लिया कि विश्व सनातन महापी सनातन संस्कृति, वेद-गुरुकुल परंपरा और धर्म की रक्षा करेगा। कहा कि गो सेवा, गंगा-हिमालय संरक्षण, पर्यावरण, योग-आयुर्वेद का प्रचार करेगा। युवाओं, महिलाओं, साधकों और शोधकर्ताओं के लिए वैश्विक केंद्र बनेगा। विश्व के हर देश में सनातन संस्कृति का प्रकाश पहुंचाने का कार्य करेगा।
इस मौके पर जगद्गुरु ब्रह्मृषि कुमार स्वामी, परमार्थ पीठाधीश्वर स्वामी चिदानंद मुनि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी, नरेश शर्मा योग माता केको आइकावा, श्रीमहंत राजेंद्र दास, श्री महंत मुरलीधरन, अश्वनी उपाध्याय, विष्णु शंकर जैन, स्वामी सच्चिदानंद, डा. गौतम खट्टर, अविचल दास, करौली शंकर महादेव, राज राजेश्वर गुरु अमेरिका, संजय आर्य शास्त्री अमेरिका, महामंडलेश्वर गोपाल दास आदि मौजूद रहे।