अर्धकुंभ को महाकुंभ बनाने में शासन जुटा है। लेकिन दूसरी तरफ संतों में रार छिड़ी हुई है।आयोजन पर हर रोज सवाल उठा रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने संगठन पर उठे सवाल का जवाब दिया है।

अर्धकुंभ को पूर्णकुंभ या महाकुंभ की संज्ञा देकर शासन और प्रशासन जहां तैयारियों में जुटा है, वहीं अखाड़े और आश्रम से कुछ लोग समय-समय पर बयान जारी कर पूरी तैयारी को असमंजस में डाल रहे हैं। इससे न केवल मेला प्रशासन सकते में आ रहा है, बल्कि चर्चाएं भी आम हो रही हैं।
बीते दिनों एक अखाड़े के शीर्ष संत ने अपने बयान में कुंभ की तैयारियों पर सवाल उठाए तो प्रशासन घूम-घूमकर सभी अखाड़ों के संतों का वीडिया बयान बनाकर वायरल किया। यह प्रयास उस संत के बयान का खंडन करना बताया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें न तो वार्ता के लिए बुलाया गया और न ही कोई चर्चा की गई। अब फिर से एक आश्रम में साधु समाज की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता और संचालन करते हुए संत, महंत ने खुद की उपेक्षा बताते हुए कुंभ को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की। यही नहीं इस बैठक में अखाड़ा परिषद के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े किए गए।
प्रत्येक बैठक में शामिल हो रहे हैं प्रमुख अखाड़ों के दो शीर्ष संत
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने अपने जारी वीडियो बयान में कहा कि अखाड़ा परिषद हरिद्वार कुंभ और नासिक के साथ उज्जैन में होने वाले महाकुंभ की तैयारियां कर रही है। इसके लिए अखाड़ों के साथ विचार विमर्श करने के साथ संबंधित राज्य सरकारों से वार्ता भी की जा रही है। हर राज्य में हो रही बैठक में सभी अखाड़ों के दो-दो प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। हरिद्वार कुंभ में सभी अखाड़े प्रतिभाग करेंगे। अखाड़ों की पेशवाई और शाही स्नान का आयोजन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरिद्वार कुंभ में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु शामिल होंगे इससे सनातन धर्म संस्कृति का परचम पूरी दुनिया में फहराएगा।
बुधवार की बैठक में एक धड़े ने की थी कार्यकारिणी की घोषणा
बुधवार को एक वीडियो वायरल हुआ इसमें कुछ आश्रम से जुड़े संतों ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी पर ही सवाल उठाया था। बाकायदा एक वीडियो बयान जारी करते हुए इसमें कहा गया था कि अर्धकुंभ कुंभ नहीं हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्णय पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े किए थे। यहीं नहीं बाकायदा एक कार्यकारिणी गठित कर अपने धड़े को अलग बताया था।