विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से कार्तिक-अगहन माह की अंतिम राजसी सवारी सोमवार, 17 नवंबर को पारंपरिक विधि-विधान के साथ निकाली गई। दोपहर में सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन कर उन्हें रजत पालकी में विराजित किया गया। इसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल ने पालकी को सलामी दी और सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई।

हजारों भक्तों ने पुष्पवर्षा कर भगवान चंद्रमौलेश्वर के दर्शन का लाभ लिया। भजन मंडलियां, पुलिस बैंड, मंदिर समिति का बैंड, डमरू दल और अश्वारोही दस्ते सवारी के साथ पूरे समय मौजूद रहे, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। ठीक शाम 4 बजे सवारी महाकाल मंदिर से रवाना हुई और पारंपरिक मार्ग के साथ-साथ शहर के प्रमुख रास्तों से गुजरती हुई आगे बढ़ी। रामघाट पहुंचने पर भगवान चंद्रमौलेश्वर का पारंपरिक पूजन एवं अभिषेक किया गया। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए और मंत्रोच्चार तथा घंटा-घड़ियाल की गूंज से पूरा घाट परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। सवारी रात होते-होते अपने निर्धारित मार्ग से होकर वापस मंदिर परिसर में पहुंची, जहां विश्राम कराया गया। अंतिम राजसी सवारी होने के कारण शहर में दिनभर उत्साह और श्रद्धा का विशेष माहौल रहा। याद रहे कि मंदिर में महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष तौर पर प्रभाव है। कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से शुरू होती है। इसी वजह से आज सोमवार को महाकाल की राजसी सवारी निकाली गई।

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