
अयोध्या। रामनगरी इन दिनों भक्ति और वैदिक स्वर लहरियों से गुंजायमान है। श्री महालक्ष्मी यज्ञ के अंतर्गत प्रतिदिन 20 हजार से अधिक आहुतियां अग्नि में समर्पित की जा रही हैं। आचार्यों के वैदिक उच्चारण और यजमानों की श्रद्धा के साथ जब हवन कुंडों से धुएं के बीच सुगंध उठती है, तो वातावरण स्वयं एक पवित्र यज्ञभूमि में रूपांतरित हो जाता है।
यज्ञशाला में दिनभर गूंजते स्वाहा… के मंत्र, घृत और हवन सामग्री की आहुति के साथ उठती अग्नि ज्वालाएं जैसे लोक और परलोक को जोड़ती प्रतीत होती हैं। प्रातः काल से लेकर संध्या तक यज्ञशाला में पंडित पवन दास शास्त्री के नेतृत्व में 21 आचार्य विविध देवताओं के आवाहन के साथ विशेष अनुष्ठान संपन्न करा रहे हैं। महालक्ष्मी, कुबेर, और विष्णु की आराधना के साथ साथ यज्ञ में अष्ट लक्ष्मी तत्व का आह्वान किया जा रहा है। यज्ञ के संयोजक आचार्य शिवेंद्र ने श्रीमद्भागवत कथा की सुधा व़ृष्टि करते हुए कहा कि यह कथा मन को शांत करती है और व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
कहा कि कथा वही है, जिसमें ईश्वर से प्रेम हो। महालक्ष्मी यज्ञ की महिमा बताते हुए कहा कि महालक्ष्मी यज्ञ केवल वैदिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समृद्धि और संस्कार का उत्सव है। हर आहुति के साथ मनुष्य अपने भीतर के लोभ, क्रोध, और अहंकार को भी अग्नि में अर्पित करता है। आचार्य शिवेंद्र ने बताया कि यज्ञकुंड में पांच दिनों में एक लाख आहुतियां अर्पित की जाएंगी। 21 वैदिक आचार्य रोजाना 20 हजार आहुतियां यज्ञकुंड में अर्पित कर रहे हैं।