बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की सनातन एकता पदयात्रा ब्रज भूमि के पहले पड़ाव कोटवन बार्डर पर पहुंच गई है। इस दौरान भव्य स्वागत किया गया।

दिल्ली से शुरू हुई सनातन हिंदू एकता पदयात्रा ने बृहस्पतिवार की दोपहर को कोसीकलां में प्रवेश किया। शाम को पदयात्रा पड़ाव स्थल कोसी मंडी पहुंचीं। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने ब्रज तीर्थ क्षेत्र को प्रणाम करते हुए कहा कि यह भूमि भक्ति, शक्ति और प्रेम की भूमि है। इसके पहले यात्रा मार्ग पर भी पुष्प वर्षा से जगहृ-जगह स्वागत किया गया।
जैसे ही पदयात्रा कोसी में दाखिल हुई कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण, भाजपा जिलाध्यक्ष निर्भय पांडेय, चेयरमैन धर्मवीर अग्रवाल, नरदेव चौधरी, कमल किशोर वाष्णेय, चौधरी जगपाल सिंह, भागवताचार्य अनिरूद्धाचार्य, मान मंदिर सेवा संस्थान के सुनील सिंह ने फूलों की वर्षा कर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का भव्य स्वागत किया। उनके साथ हजारों श्रद्धालु नाचते-गाते आगे बढ़ते रहे। दोपहर लगभग तीन बजे यात्रा ने जैसे ही कोटवन सीमा में कदम रखा श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजों और जयघोषों के बीच हजारों लोग पारंपरिक परिधान में यात्रा के स्वागत के लिए जुट गए। शाम करीब 8 बजे कोसी मंडी में सनातन एकता पदयात्रा के ब्रज क्षेत्र में पहुंचने के बाद बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने ब्रजवासियों ने जिस तरह से इस पदयात्रा में अपनी आत्मीयता दिखाई है, यहां के संतों का जो स्नेह मिला है उससे यह स्पष्ट है कि जब बृजवासियों ने स्वीकार लिया है तो बांके बिहारी भी अवश्य स्वीकारेंगे।
शास्त्री ने कहा कि व्यक्ति उच्चारण से नहीं बल्कि उच्च आचरण से महान होता है। उन्होंने आज के युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वह रील खूब बनाए लेकिन रियल से भी जुड़े रहे। कहा कि हम न आस्तिक बनाते हैं और न ही नास्तिक बनाते हैं हम लोगों को वास्तविक बनाना चाहते हैं। सभी नदियों से मिलकर सिंधु और सभी जातियों से मिलकर हिंदू बनता है।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसी भूमि है जहां जन्म लेने वाले पशु, पक्षी, पेड़, पौधे भी पूजनीय होते हैं। सभी नदियां मिलकर सिंधु बनती हैं और सभी जातियां मिल जाए तभी हिंदू बनता है। उन्होंने कहा कि तीन उंगलियों से नहीं पांच उंगलियों को मिलाकर बनी मुट्ठी से हमला करेंगे तभी ज्यादा असरदार होगा। उन्होंने सभी हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान किया।