कान्हा की नगरी मथुरा में लंकेश का मंदिर है, जहां सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोग दशानन की हरवर्ष पूजा करते हैं। 
 

Devotees Worship Ravana Instead of Burning His Effigy In Krishna’s City Mathura

रावण का पुतला भले ही बुराई के प्रतीक के रूप में दशहरा पर जलाया जाता है, लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा में लंकेश के भी भक्त हैं। सारस्वत ब्राह्मण समाज के ये भक्त दशहरा पर लंकेश की पूजा करने के साथ ही रावण के पुतले का दहन करने का विरोध करते हैं। मथुरा में यमुनापार स्थित श्मशान घाट पर महाराज लंकेश का एक मंदिर बना हुआ है। जहां भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा की जाती है।

देश भर में दशहरा पर बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को जलाया जाता है, लेकिन मथुरा में रावण भक्त मंडल के सदस्य न केवल रावण की पूजा करते हैं, बल्कि उसके पुतला दहन का विरोध भी करते हैं। हर बार की तरह इस बार भी मथुरा में यमुनापार स्थित श्मशान घाट पर बने इस मंदिर में सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोगों ने दशानन की पूजा की। 

रावण का मथुरा से है नाता 
रावण के छह भाई और दो बहन थीं। इनमें रावण की बहन कुम्भनी मथुरा के राजा मधु राक्षस की पत्नी और लवणासुर की मां थी। इसके साथ ही रावण ब्राह्मणों के सारस्वत गोत्र से थे। यही वजह है कि यहां सारस्वत ब्राह्मण समाज के लोग रावण की पूजा हर बार करते हैं।

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