शास्त्रों में पीपल को सभी देवताओं का वास स्थान कहा गया है। इंदिरा एकादशी पर संध्या समय पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल या घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। वर्ष भर में आने वाली 24 एकादशियों में प्रत्येक का अपना अलग महत्व बताया गया है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ‘इंदिरा एकादशी’ कहलाती है। यह तिथि विशेष रूप से पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए उत्तम मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपवास, पूजा और दीपदान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर दीपक जलाने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कि किन-किन स्थानों पर दीपक लगाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
1. तुलसी के पौधे के पास दीपक
तुलसी, भगवान विष्णु को अति प्रिय मानी गई है। पौराणिक मान्यता है कि एकादशी के दिन तुलसी के समीप दीपक जलाने से विष्णुजी तुरंत प्रसन्न होते हैं। जब भगवान विष्णु कृपा करते हैं तो पितरों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है। इस दिन संध्याकाल में तुलसी के पास दीपक जलाकर रखने से घर में पितृदोष का निवारण होता है।
2. पीपल वृक्ष के नीचे दीपक
शास्त्रों में पीपल को सभी देवताओं का वास स्थान कहा गया है। इंदिरा एकादशी पर संध्या समय पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल या घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
3. पवित्र नदी या सरोवर के तट पर दीपदान
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नदियों को देवियों का स्वरूप माना गया है। एकादशी के दिन गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी के तट पर दीपदान करने से पितरों की आत्मा को दिव्य लोक की प्राप्ति होती है। यदि पास में कोई नदी न हो तो घर पर जल से भरे कलश के समीप दीपक रखकर भी वही फल मिलता है।
4. घर के मुख्य द्वार पर दीपक
धार्मिक मान्यता है कि एकादशी की रात घर के मुख्य द्वार पर दीपक लगाने से पितृ आत्माएं मार्ग नहीं भटकतीं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यह दीपक भगवान विष्णु और पितरों दोनों को प्रसन्न करता है तथा परिवार की रक्षा करता है।
5. मंदिर में दीपदान
इंदिरा एकादशी पर विष्णु मंदिर या किसी भी देवालय में दीपक जलाना अत्यंत पुण्यदायी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति और मोक्ष प्राप्त होता है। मंदिर में दीपदान से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
6. रसोईघर में दीपक
घर की रसोई को अन्नपूर्णा का स्थान माना गया है। एकादशी की रात रसोई में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में अन्न-धान्य की कभी कमी नहीं होती।