यूपी में पड़ रही भीषण गर्मी और भारत-पाकिस्तान संघर्ष का असर अयोध्या राम मंदिर आने वाले लोगों की संख्या पर पड़ा है। बीते एक महीने से लगातार भक्तों की संख्या कम पड़ती जा रही है।

रामनगरी में पिछले दो माह में धार्मिक पर्यटन का ग्राफ तेजी से गिरा है। एक सर्वे के मुताबिक श्रद्धालुओं की संख्या में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। यह न सिर्फ स्थानीय धार्मिक पर्यटन के लिए चिंता का विषय है, बल्कि इसका असर स्थानीय अर्थव्यवस्था और सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी पर भी देखने को मिल रहा है।
महाकुंभ के दौरान आई तीर्थ यात्रियों की भारी भीड़ अब थम गई है। इससे स्थानीय व्यापारियों की चिंता बढ़ी है। रामनवमी के बाद से ही अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस गिरावट का सीधा असर व्यापार, होटल उद्योग, परिवहन सेवाओं और छोटे दुकानदारों की आमदनी पर पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड इकोनॉमिक एसोसिएशन के महासचिव व अर्थशास्त्री प्रो. विनोद श्रीवास्तव अपने सर्वे के आधार पर दावा करते हैं कि 10 मार्च के बाद से ही रामनगरी में श्रद्धालु घटने लगे थे।
श्रद्धालुओं की संख्या में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है। इससे पहले रोजाना डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन को पहुंचते थे। इस समय रोजाना करीब 70 हजार श्रद्धालु आ रहे हैं। सर्वे में यह सामने आया है कि पर्यटक व श्रद्धालु सुबह आ रहे हैं और शाम को लौट जा रहे हैं। बमुश्किल 500 से एक हजार रुपये ही श्रद्धालु खर्च कर रहे हैं। यह ट्रेंड पर्यटन के लिहाज से खराब है। इसका असर अयोध्या धाम के सकल राजकीय घरेलू उत्पाद पर पड़ा है।
भारत-पाक के बीच तनाव से भी पड़ा असर
प्रो. श्रीवास्तव बताते हैं कि भीषण गर्मी व परीक्षाओं के चलते लोग परिवार के साथ ज्यादा यात्रा पर नहीं निकल रहे हैं। भारत-पाक के बीच तनाव से भी पर्यटन प्रभावित हुआ है। हालांकि अयोध्या सेफ जोन में है, फिर भी एहतियातन श्रद्धालु और पर्यटक नहीं निकले। उन्होंने उम्मीद जताई है कि 20 जून के बाद जब मानसून की शुरुआत होगी और गर्मी कुछ कम होगी, तब एक बार फिर से श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखने को मिलेगी।