अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को गैर संवैधानिक करार दिया।

वाराणसी
देश की आजादी के बाद धार्मिक स्थलों की यथास्थिति कायम रखने के लिए साल 1991 में बने प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट पर अब अखिल भारतीय सन्त समिति ने आवाज उठाई है। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को गैर संवैधानिक करार देते हुए इस कानून को रद्द करने की मांग है ।

स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा, ‘1990 में राजीव गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव वर्ग विशेष को खुश करने के लिए यह कानून लाए थे। इस कानून में 15 अगस्त 1947 के बाद धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की बात कही गयी। अयोध्या को छोड़कर काशी और मथुरा की यथास्थिति के लिए विशेष तौर पर ये कानून लाया गया जो पूरी तरह गैर संवैधानिक हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि 1 हजार साल बाद यहूदियों को उनका देश इजरायल प्राप्त हो सकता है तो मुगलकाल के बाद तोड़े गए हिन्दू मन्दिर हिंदुओं को क्यों नही वापस मिल सकते।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर जताई खुशी
अयोध्या के बाद काशी और मथुरा की मुक्ति के लिए विश्व भट्ट पुजारी पुरोहित महासंघ ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है। स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ये एक लंबा और नीतियों का संघर्ष है ।

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