अयोध्या। राम मंदिर के निर्माण कार्य में उच्चतम तकनीकी मानकों का पालन किया जा रहा है, जिससे मंदिर सदियों तक सुरक्षित बना रहे। इसी क्रम में इन दिनों मंदिर परिसर में अत्याधुनिक वाटर प्रूफिंग का कार्य किया जा रहा है। इससे राम मंदिर बरसात के पानी से सुरक्षित रहेगा और पत्थराें के बीच में रिसाव की संभावना नहीं होगी।
पिछले साल बारिश के मौसम में राम मंदिर में पानी टपक रहा था। इस पर राम मंदिर ट्रस्ट ने कहा था कि अभी मंदिर का दूसरा तल व शिखर निर्माणाधीन है, जिसके चलते पानी का रिसाव हो गया था। अब शिखर समेत राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है तो शिखर व दूसरे तल पर वाटर प्रूफिंग का कार्य किया जा रहा है। चूंकि राम मंदिर शिलाओं से निर्मित है और इसमें गहरे फाउंडेशन से लेकर ऊंचे शिखर तक विस्तृत निर्माण है, इसलिए जल से सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। वाटर प्रूफिंग का कार्य मंदिर की दीर्घायु सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। वाटर प्रूफिंग प्रक्रिया में ध्यान रखा गया है कि तकनीक आधुनिक हो, लेकिन मंदिर की पारंपरिक नागर शैली वास्तुकला से समझौता न हो। प्राकृतिक पत्थरों की बनावट और शिल्प को कोई नुकसान न हो, इस पर विशेषज्ञ विशेष ध्यान दे रहे हैं।
राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि मंदिर परिसर में अत्याधुनिक जल निकासी प्रणाली विकसित की जा रही है। इससे वर्षा का जल आसानी से बाहर निकल जाए। ड्रेनेज सिस्टम उच्च तकनीक आधारित होगा। राम मंदिर परिसर में एक भी बूंद पानी नहीं ठहरे इसके लिए 20 स्थानों पर विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। राम जन्मभूमि परिसर में बरसात के पानी को भूमि में अवशोषित करने के लिए रिचार्ज पिट्स (जल अवशोषित गड्ढे) बनाए जा रहे हैं। इन पिट्स से बरसात के पानी के जमाव को रोका जा सकेगा, जिससे जलभराव की समस्या से बचा जा सकेगा।