बजरंग सेतु ऋषिकेश क्षेत्र का एक नायाब पुल होगा। इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए पुल के दोनों ओर कांच के फुटपाथ होंगे। दोनों किनारों पर डेढ़-डेढ़ मीटर चौड़े फुटपाथ 65 एमएम मोटे कांच से बनाए जाएंगे।

बहुप्रतीक्षित बजरंग सेतु का निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है। पुल के डेक को जोड़े जाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। विभाग का कहना है कि अब ग्लास पाथ और रेलिंग का का कार्य शुरु कर दिया जाएगा।
132.30 मीटर स्पान के बजरंग पुल को करीब 68.86 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर ने वर्ष 2022 में पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था। वर्ष 2024 तक पुल निर्माण कार्य पूर्ण होने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन निर्माण की धीमी गति के चलते यह कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है।
बीते कुछ दिन पूर्व पौड़ी डीएम आशीष चौहान ने पुल निर्माण कार्य का निरीक्षण कर जल्द इसे पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। लोनिवि अधिकारियों का कहना है कि पुल के डेक को जोड़ने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। अब ग्लास पाथ और रेलिंग का कार्य शुरु किया जा रहा है। जल्द सभी कार्य पूर्ण कर पुल पर आवाजाही शुरु कर दी जाएगी।
बजरंग सेतु ऋषिकेश क्षेत्र का एक नायाब पुल होगा। इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए पुल के दोनों ओर कांच के फुटपाथ होंगे। दोनों किनारों पर डेढ़-डेढ़ मीटर चौड़े फुटपाथ 65 एमएम मोटे कांच से बनाए जाएंगे। वहीं पुल के टावर पर केदारनाथ धाम की आकृति होगी। कांच की फुटपाथ वाला यह उत्तर भारत का पहला पुल होगा। पुल पर हल्के चौपहिया वाहन भी चलेंगे।
लक्ष्मणझूला के विकल्प के रूप में हो रहा बजरंग सेतु का निर्माण
टिहरी और पौड़ी जनपद सीमा को जोड़ने वाले करीब 92 साल पुराना लक्ष्मणझूला पुल को सुरक्षा की दृष्टि से 13 जुलाई 2019 को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। लक्ष्मणझूला बंद होने से स्थानीय लोगों और पर्यटकों को करीब दो से चार किमी पहले रामझूला और जानकीसेतु से आवाजाही करनी पड़ रही है। वर्ष 2023 में टिहरी प्रशासन ने रामझूला पुल पर भी दोपहिया वाहनों की आवाजाही बंद कर दिया।