परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने महावीर जयंती की शुभकामनाएं दी और कहा कि भारतवर्ष की आध्यात्मिक परंपरा में भगवान महावीर एक ऐसे प्रकाश पुंज हैं, जिन्होंने समाज को जो उपदेश दिए, उस सत्य को अपने संपूर्ण जीवन में पहले जिया।
कहा कि आज का युवा उनके आदर्शों को अपनाए, तो वह न केवल अपने जीवन को दिशा दे सकता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। भगवान महावीर का जीवन आज के युग में आत्मचिंतन और आंतरिक विकास की रोशनी बनकर सामने आता है।
कहा, भगवान महावीर ने हमें सिखाया कि धर्म, व्यवहार और आत्मानुभूति का नाम है। उनका जीवन अहिंसा, अपरिग्रह और आत्मसाधना का आदर्श उदाहरण है। भगवान महावीर ने राजसी सुख सुविधाओं को त्यागकर आत्म साक्षात्कार का मार्ग चुना। उन्होंने तप, ध्यान और मौन के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करने की साधना की। स्वामी ने भगवान महावीर के जियो और जीने दो के सिद्धांत को आत्मसात करने का संदेश देते हुए कहा कि अब समय आ गया कि हम जियो और जीने दो के साथ जीवन दो को भी आत्मसात करें।