अंग्रेजों के शासन में किए गए जुल्म के विरोध में मथुरा के बछगांव में जूता-चप्पल मार होली खेली जाती है। सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा होली पर गांव में निभाई गई। बड़ों ने अपने से छोटों को जूता-चप्पल मारकर आशीर्वाद दिया।

मथुरा के सौंख में अंग्रेजों के द्वारा किए गए जुल्म के विरोध में गांव बछगांव में जूता-चप्पल मार होली खेली गई। होली के दौरान अपने से छोटे में चप्पल और जूता मारकर आशीर्वाद दिया। इसका किसी ने बुरा तक नहीं माना। सभी हंसते हुए नजर आए। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है।
गोवर्धन तहसील के गांव बछगांव में विगत सैकड़ों वर्षो से जूता-चप्पल मारकर होली मनाने की पंरपरा है। इस होली में एक खास बात ये भी है कि अपने से छोटे लोगों को जूता-चप्पल मारकर होली की शुभकामनाओं के साथ आशीर्वाद दिया जाता है। सकारात्मक विचारों और सही दिशा के लिए अग्रसर होने के लिए जागरूक करते हैं।
इसके बाद बुजुर्ग होली, बृजगीत, रसिया समेत अन्य प्रकार के गीतों के सहारे भजन कीर्तन करते है। इस प्रकार ब्रज में बछगांव में होली की अद्भुत परंपरा है। जहां जूता चप्पल मार होली खेली जाती है। यहां की होली को शांतिपूर्ण तरीके से पर्व के रूप में मनाया जाता है। गांव के सभी लोगों को बुलाया जाता है। उम्र में अपने से बड़े लोगों द्वारा एक-दूसरे को गुलाल लगाकर जूते चप्पल मारकर शुभकामनाएं दी जाती हैं।
होली के दिन निभाई 150 वर्ष पुरानी परपंरा
गांव बछगांव में जूता-चप्पल मार होली खेलने की परपंरा 100-150 वर्ष पुरानी है। अंग्रेजों द्वारा किए गए जुल्म का विरोध करने के लिए चप्पल मार होली खेली गई। होली के दिन सुबह से शाम तक सभी लोग इसी प्रकार होली खेलते है। इसके बाद बुजुर्गों द्वारा फाल्गुन के रसियों पर थिरकते नजर आते है। ग्रामीण लक्ष्मण चाैधरी ने बताया कि देश मे अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में होली के अवसर पर पहली बार जूता चप्पल मार होली खेली गई थी। सौहार्दपूर्ण माहौल में अपने से बड़े लोगों के गुलाल लगाते हैं। आशीर्वाद रूपी शुभकामनाएं सिर पर चप्पल मारकर दी जाती हैं। बलजीत सिंह ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा को लेकर होली खेली गई। सिर पर जूता चप्पल मारे गए। इसका कोई बुरा तक नहीं मानता है।