कान्हा की नगरी में होली का उल्लास छाया हुआ है। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और दाऊजी में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। बरसाने की लट्ठमार और लड्डूमार होली के बीच अब यहां हर ओर गुलाल बरस रहा है। वहीं आज गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन होगा। 

Braj Ki Holi 2025 Live: Banke Bihar Temple, Mathura, Vrindavan Laddu Lathmar Flower Holi Celebration Photos

गोकुल में छड़ीमार होली खेलने आए विदेशी मेहमान

श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल में यमुना किनारे होली चबूतरा पर छड़ीमार होली शुरू हो गई है। गोकुल में यमुना किनारे हो रहे इस भव्य आयोजन का हिस्सा विदेशी मेहमान भी बने। उन्होंने कहा ये दृश्य अलौकिक है। मथुरा को होली के बारे में उन्होंने जो सुना था, उससे कहीं अधिक ये अद्भुत है। होली चबूतरा पर छड़ीमार होली
श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल में यमुना किनारे होली चबूतरा पर छड़ीमार होली शुरू हो गई है। गोकुल में यमुना किनारे स्थित नंद किले के नंद भवन में ठाकुर जी के समक्ष राजभोग रखा गया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और बलराम होली खेलने के लिए मुरली घाट को निकले। बाल स्वरूप भगवान के डोला को लेकर सेवायत चल रहे थे। उनके आगे ढोल-नगाड़े और शहनाई की धुन पर श्रद्धालु नाचते-गाते आगे बढ़ रहे थे।

श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी भीड़
गोकुल में छड़ीमार होली एक बजे के बाद शुरू हो जाएगी। इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है। पुलिस ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।

गोदा हरिदेव मंदिर से निकली शोभायात्रा
वृंदावन के गोदा हरिदेव मंदिर की भव्य शोभायात्रा सोमवार को धूमधाम से निकाली गई। इस धार्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भक्ति भाव से नाचते-गाते हुए यात्रा को भव्यता प्रदान की।

दूर-दराज से आते हैं श्रद्धालु
गोकुल की छड़ीमार होली खेलने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं। इस उत्सव का आयोजन यहां सदियों से चला आ रहा है। प्राचीन परंपराओं का निर्वहन करते हुए आज भी हर साल यहां छड़ीमार होली का आयोजन किया है। छड़ीमार होली के दिन कान्हा की पालकी और पीछे सजी-धजी गोपियां हाथों में छड़ी लेकर चलती हैं।

कैसे शुरू हुई छड़ीमार होली की परंपरा?
बचपन में कान्हा बड़े चंचल हुआ करते थे। गोपियों को परेशान करने में उन्हें बड़ा आनंद मिलता था, इसलिए गोकुल में कान्हा के बालस्वरूप को अधिक महत्व दिया जाता है। नटखट कान्हा की याद में हर साल यहां पर छड़ीमार होली का आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बालकृष्ण को लाठी से चोट न लग जाए, इसलिए यहां लाठी की जगह छड़ी से होली खेली जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand