इस वर्ष श्रवण नक्षत्र, परिघ का योग और शुभ शिव योग में छत्र एवं श्री वत्स में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। सात साल बाद बुधवार को महाशिवरात्रि का संयोग है।

महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद महाशिवरात्रि पर अमृत स्नान जैसा महासंयोग बन रहा है। 26 फरवरी को ग्रहों की युतियां त्रिवेणी के तट पर स्नान करने वालों के लिए बेहद खास होंगी। त्रिग्रही के साथ ही बुधादित्य योग और चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण का भी संगम होगा। चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में 31 सालों के बाद बुधादित्य और त्रिग्रही योग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी और श्रद्धालु त्रिवेणी के तट पर स्नान करेंगे।
सूर्य, बुध और शनि तीनों शनि की राशि कुंभ में विराजमान होकर अमृत स्नान का महायोग बना रहे हैं। इसके साथ ही चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में 31 साल बाद बुधादित्य और त्रिग्रही योग के संयोग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। ग्रहों की युतियां पर्व को कई गुना अधिक फलदायी बना रही हैं।
ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री बताते हैं, 26 फरवरी को सूर्य, बुध, शनि कुंभ राशि और चंद्रमा मकर राशि में होंगे। शुक्र, राहु मीन राशि, मिथुन राशि में मंगल और वृषभ राशि में बृहस्पति विराजमान होंगे। कुंभ राशि पर तीन ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का संयोग से खास बना रहा है। इस वर्ष श्रवण नक्षत्र, परिघ का योग और शुभ शिव योग में छत्र एवं श्री वत्स में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। सात साल बाद बुधवार को महाशिवरात्रि का संयोग है।
फलदायी होगी महाशिवरात्रि, मिलेगा परिश्रम का फल : काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी बताते हैं, मेष राशि के जातकों के लिए महाशिवरात्रि विशेष फलदायी रहेगी। परिश्रम का फल मिलेगा। मिथुन और सिंह राशि के जातकों के लिए भी तरक्की के रास्ते सुलभ होंगे।
शिव की पूजा से दृढ़ होती है इच्छाशक्ति
ज्योतिष के अनुसार, मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अत्यंत कमजोर होते हैं और भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। इसलिए शिवजी की पूजा एवं उपासना से व्यक्ति का चंद्र मजबूत होता है जो मन का प्रतिनिधित्व करता है। महादेव की पूजा से इच्छाशक्ति दृढ़ होती है, साथ ही अदम्य साहस का संचार होता है।”