भारतीय धर्म ग्रंथों में गंगा को धरती के कल्याण के लिए स्वर्ग से अवतरित होने वाली नदी एवं गंगा जल को देवताओं के उपयोग वाला पवित्र जल कहा जाता है। गंगाजल के इस महत्व के पीछे उसका एक चमत्कारी गुण है। वह यह है कि गंगाजल, भारत में उपलब्ध दूसरे किसी भी प्रकार के पानी से अलग होता है। गंगाजल खराब नहीं होता। उस में बदबू नहीं आती। उसमें कीड़े नहीं पड़ते। सवाल यह है कि गंगा नदी के पानी में यह गुण कब तक रहता है। हर चीज की एक एक्सपायरी डेट होती है। गंगाजल कितने समय बाद एक्सपायर हो जाता है।

गंगाजल कभी खराब क्यों नहीं होता, बदबू क्यों नहीं आती, कीड़े क्यों नहीं पड़ते

वनस्पति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट श्रीमती शैली शर्मा बताती है कि हिंदू धर्म में गंगाजल के पूज्य होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है गंगाजल में उपस्थित एक विशेष प्रकार का चमत्कारी गुण। वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर पता चला है कि गंगाजल में एक विशेष प्रकार के विषाणु पाए जाते हैं। इसका नाम बैक्टीरियोफेज है। जीव विज्ञान में नाम का बड़ा महत्व है। नाम से ही बहुत से शब्दों के अर्थ स्पष्ट हो जाते हैं। बैक्टीरियोफेज में बैक्टीरिया का अर्थ है जीवाणु तथा फेज का अर्थ है ‘भोजी’। अर्थात ऐसा विषाणु जो जीवाणुओं को मार देता है या जीवाणुओं को खा जाता है, उन्हें नष्ट कर देता है।

नदी से निकालने के बाद गंगाजल कितने दिन में एक्सपायर हो जाता है

यह बात बिल्कुल सही है कि इस पृथ्वी पर जो भी जन्म लेता है उसकी मृत्यु होती है। जो शुरू हुआ है वह खत्म भी होता है लेकिन इसी पृथ्वी पर कुछ ऐसी चीजें भी है जिनका जीवन मनुष्य के जीवन से या फिर मनुष्य प्रजाति के जीवन चक्र से लंबा होता है। गंगाजल एक ऐसा ही पदार्थ है। निश्चित रूप से गंगाजल एक्सपायर होता होगा परंतु शायद गंगाजल की शुद्धता का जीवन पृथ्वी पर मनुष्य की प्रजाति के जीवन चक्र से अधिक है। क्योंकि भारत में कुछ ऐसे परिवार भी हैं जहां सैकड़ों साल पहले संग्रहित किया गया गंगा जल से भरा हुआ कलश आज भी सुरक्षित है।

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