मां भगवती के चरणों के अभिमंत्रित जल से दृष्टिबाधितों को रोशनी, गूंगों को आवाज और बहरों को श्रवण शक्ति प्रदान करने वाले गाजियाबाद के जल वाले गुरु महाकुंभ में महामंडलेश्वर जलेश्वरानंद बन गए हैं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने उनको महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की है।

मां भगवती के चरणों के अभिमंत्रित जल से दृष्टिबाधितों को रोशनी, गूंगों को आवाज और बहरों को श्रवण शक्ति प्रदान करने वाले गाजियाबाद के जल वाले गुरु महाकुंभ में महामंडलेश्वर जलेश्वरानंद बन गए हैं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने उनको महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की है। अखाड़ेे के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि की मौजूदगी में जलेश्वरानंद का पट्टाभिषेक किया गया।
गाजियाबाद में लोनी बार्डर पर जल वाले जल गुरु के नाम से प्रसिद्ध मां भगवती दरबार के पुजारी को जूना अखाडे का महामंडलेश्वर बनाया गया है। महामंडलेश्वर के रूप में अभिषेक कर उनका नाम स्वामी जलेश्वरानंद गिरि महाराज रखा गया। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने उन्हें शिष्य बनाकर अखाड़े में शामिल किया। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने उनका अभिषेक कर उनको महामंडलेश्वर नियुक्त किया।
स्वामी जलेश्वरानंद गिरि को पंच गुरुओं की मौजूदगी में महामंडलेश्वर बनाया गया। रूद्राक्ष गुरु दूधेश्वर पीठाधीश्वर और जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि, विभूति गुरु श्रीमहंत उमाशंकर भारती, भगवा गुरु जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि,लंगोटी गुरु श्रीमहंत केदारपुरी व चोटी गुरु श्रीमहंत हरि गिरि महाराज बने। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर व जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक ने महामंडलेश्वर स्वामी जलेश्वरानंद गिरि को सनातन धर्म के प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी। कहा कि वे सनातन धर्म को मजबूत करने और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का काम करें।