परिषद पदाधिकारियों पर उपेक्षा का आरोप जड़ते हुए जगतगुरु स्वामी महेशाश्रम ने संरक्षक पद से इस्तीफा दे दिया। 

Angered by the neglect, Maheshashram resigns from Dandi Parishad

दंडी संन्यासियों के सबसे बड़े संगठन दंडी संन्यासी परिषद में भी तकरार छिड़ी हुई है। परिषद पदाधिकारियों पर उपेक्षा का आरोप जड़ते हुए जगतगुरु स्वामी महेशाश्रम ने संरक्षक पद से इस्तीफा दे दिया। 

त्यागपत्र में उन्होंने पदाधिकारियों पर मनमानेपन का आरोप लगाया। परिषद अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम का कहना है उनके इस्तीफे को आम सभा में प्रस्तुत किया जाएगा। आम सभा के फैसले के मुताबिक आगे निर्णय होगा। परिषद में काफी समय से तनातनी चल रही है। दबदबा कायम करने को लेकर भी गुटबाजी हुई। महाकुंभ के दौरान भी दोनों गुटों के बीच कई बार विवाद सतह पर आया। 

महाकुंभ तक सुलह-सफाई की भी बात हुई लेकिन, बात बन नहीं सकी। माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद संरक्षक एवं जगतगुरु स्वामी महेशाश्रम ने इस्तीफा देने का एलान कर दिया। परिषद अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम को भेजे इस्तीफे में उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दंडी संन्यासी परिषद अपने मूल उद्देश्य से भटक गया। उन्होंने बिना नाम लिए ही परिषद के उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपनी निजी नियमावली के मुताबिक संगठन को चलाना चाहते हैं। ऐसे में संरक्षक पद पर उनके बने रहने का कोई औचित्य नहीं। उधर, संरक्षक पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद से परिषद के अन्य पदाधिकारियों में खलबली है। 

संन्यासी परिषद अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम का कहना है कि इसमें आपसी विवाद जैसी कोई बात नहीं है। उनके इस्तीफे पर चर्चा के लिए आम सभा बुलाई गई है। इस पर फैसला किया जाएगा। बता दें, दंडी संन्यासियों को एकजुट करने के लिए पिछले अर्द्धकुुंभ के दौरान ही इसका गठन हुआ था। परिषद के गठन के बाद यह पहला कुंभ था लेकिन, कुंभ खत्म होने से पहले ही संगठन में रार छिड़ गई।

महाकुंभ में भी नहीं सुलझ सका विवाद
महाकुंभ से पहले ही एक गुट की ओर से संगठन पर कब्जा जमाकर उसको अपने मुताबिक चलाने का आरोप लगाया जाता रहा है। आरोप है कि संगठन का फायदा उठाकर कुछ पदाधिकारियों ने कुंभ मेले के दौरान मेला प्रशासन से काफी सुविधाएं अपने पक्ष में आवंटित करा ली थीं लेकिन, अन्य संत इससे वंचित रह गए।  

उनकी समस्याओं को संगठन की ओर से उठाया नहीं गया। इसको लेकर भी संत काफी नाराज थे। महाकुंभ के दौरान दोनों गुटों में सुलह-सफाई की उम्मीद की जा रही थी लेकिन, आखिरी तक उनके बीच समझौता नहीं हो सका।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand