बुधवार को कनखल स्थित आश्रम में ब्रह्मलीन संत स्वामी प्रकाशानंद का 17वां महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया। इस दौरान पंडित अंकुश आचार्य के नेतृत्व में वेदपाठी छात्रों ने मंत्रोच्चार कर विधिवत पूजन संपन्न कराया। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने गुरु पूजा की और उन्हें नमन करते हुए सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। महापरिनिर्वाण दिवस पर जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म के कुछ आश्रम आज भाई, भतीजा, भांजा के भकार में उलझ रहे हैं। वहीं, स्वामी प्रकाशानंद ने इनसे दूर रहकर ओमकारमय तन्मयता में जीवन व्यतीत किया। उन्होंने कहा कि संन्यासी धर्म वैभव विलास का नहीं यह तप और साधना का मार्ग है। चिंतन करते हुए जगद्गुरु ने कहा कि आज दुर्भाग्य है कि कुछ मिथ्याचारी लाेगों ने संन्यास को मिशन न मानकर प्रोफेशन मान लिया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के लिए स्वामी प्रकाशानंद जैसी दिव्य आत्माएं जन्म लेेती हैं और इसके लिए कई सदी इंतजार करना होता है। उन्होंने कहा कि इस बार कुंभ में जिस प्रकार से अपार सनातन धर्मियों का समूह उमड़ा है, यह सनातन धर्म के प्रति बढ़ती हुई विश्व में आस्था का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति के प्रति अगाध आस्था देखी गई। कुंभ की दुर्घटनाओं को लेकर जो लोग अनापशनाप प्रलाप कर रहे हैं उन्हें इससे बाज आना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान श्रीजगद्गुरु परमार्थिक न्यास के राष्ट्रीय सचिव रविंद्र भदौरिया, डॉ. संजय शाह, विजय अग्रवाल, भरत मंदिर ऋषिकेश के महंत वात्सल्य तपन शर्मा, नवीनानंद महाराज आदि उपस्थित थे।