अखाड़ों का कामकाज अष्ट कौशल के माध्यम से संचालित होता है। इसमें आठ श्रीमहंत समेत आठ उप महंत होते हैं। महाकुंभ आरंभ होने के साथ ही निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के अष्ट कौशल भंग कर दिए गए थे।

शुक्ल पक्ष की नवमी को शैव अखाड़ों में नई सरकार ने कामकाज संभाल लिया। अष्ट कौशल में चुने गए श्रीमहंतों को ”चांदना” (तिलक-चंदन से अभिषेक) करके अखाड़े का कामकाज सौंपा गया। अगले छह साल तक यही अष्ट कौशल अखाड़े का कामकाज संभालेगा। नए अष्ट कौशल के साकार होते ही छावनी ईष्ट देव एवं धर्म के जयकारोें से गूंज उठी। ईष्ट देव का पूजन-अर्चन हुआ। नव नियुक्त अष्ट कौशल के श्रीमहंतों ने धर्मध्वजा की तनियां (रस्सी) ढीली करके अखाड़े की कुंभ नगरी से रवानगी का एलान किया।
अखाड़ों का कामकाज अष्ट कौशल के माध्यम से संचालित होता है। इसमें आठ श्रीमहंत समेत आठ उप महंत होते हैं। महाकुंभ आरंभ होने के साथ ही निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के अष्ट कौशल भंग कर दिए गए थे। इनकी जगह अखाड़े का कामकाज एक कमेटी संचालित कर रही थी। परंपरा के मुताबिक तीसरे अमृत के बाद नए अष्ट कौशल में श्रीमहंत चुने जाते हैं। नवमी को नया अष्ट कौशल गठित हुआ।