काशी में रंगभरी एकादशी और मसाने की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। रंगोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इस बार नागा साधु भी मसाने की होली में हिस्सा लेंगे।

वृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्। मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः। यानी भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि वेदों में सामवेद, छंदों में गायत्री छंद, मासों में मार्गशीर्ष, ऋतुओं में वसंत ऋतु मैं हूं। वसंत ऋतु शुरू होते ही होलियाना रंग बिखरने लगा है। वसंतोत्सव का उल्लास छाने लगा है और इसके साथ काशी में 40 दिनों की होली की शुरुआत हो गई है। 24 फरवरी को पूर्व महंत के आवास से पारंपरिक लोक उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। 10 मार्च को रंगभरी एकादशी होगी। वहीं 11 मार्च को मसाने की होली। इस बार नागा साधु भी मसाने की होली में शामिल होंगे।काशी में होली का बड़ा उत्सव रंगभरी एकादशी और मसाने की होली है। इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी पर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव के साथ होलियाना रंग चटख होने लगेगा।