प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ से धर्म ध्वज और पर्व ध्वज की रस्सी ढीली कर अखाड़े काशी आएंगे। ऐसे में 13 अखाड़ों के एक लाख से अधिक साधु-संत काशी आएंगे। 

Prayagraj Mahakumbh saints of Akharas will come to Kashi with religious flag and festival flag

महाकुंभ में 22 दिनों तक अमृतपान करने के बाद साधु-संतों ने अपने मठों और अखाड़ों में जाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहां से विदा लेते हुए एक महीने से लहरा रहे अखाड़ों के धर्म व पर्व ध्वज की रस्मों को निभाते हुए रस्सी ढीली कर दी जाएगी। इसके बाद साधु-संत काशी के लिए प्रस्थान करेंगे। 13 अखाड़ों के एक लाख से अधिक साधु-संतों की काशी पहुंचने की संभावना है।

महाकुंभ शुरू होने के करीब 20 दिन पहले से ही देशभर में फैले शैव, अनी, उदासीन और किन्नर अखाड़ों के साधु, संत और साध्वी प्रयागराज पहुंच गए थे। छावनी प्रवेश के बाद उन्होंने धर्म ध्वज और आराध्य देवों की पूजा शुरू कर दी थी। पौष पूर्णिमा से महाकुंभ शुरू होने के बाद तीन अमृत स्नान करने के बाद अब वे अपने अखाड़ों के लिए प्रस्थान करने की तैयारी में हैं। 

विधि-विधान से वे अपने आराध्यदेव व धर्म ध्वज की पूजा करेंगे। इस ध्वज की रस्सी ढीली करने के बाद कढ़ी-पकौड़ी और चावल का भोग लगाकर ग्रहण करेंगे। हालांकि, उनके ध्वज महाकुंभ तक रहेंगे। सभी अखाड़ों के मेलाधिकारी जो पूरी व्यवस्था को देखते हैं, वे इस ध्वज की पूजा करेंगे। फिर ये ध्वज अखाड़ों के प्रयागराज शाखा में रख दिए जाएंगे।

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि धर्म ध्वज की रस्सी ढीली करने के बाद साधु-संत आराध्यदेव और भाला निशान लेकर रवाना हो जाएंगे। सात फरवरी को रस्म पूरी करने के बाद 10 फरवरी तक काशी पहुंचेंगे। किन्नर अखाड़े महाकुंभ के बाद निकलेंगे।

किसी ने एक तो किसी ने डेढ़ महीने तक धर्मध्वज के नीचे गुजारे दिन

संगम के पवित्र तट पर किसी अखाड़े ने एक महीने तो किसी ने डेढ़ महीने धर्मध्वज और अपने आराध्यदेव के साथ गुजारा। जूना अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि अखाड़ों के धर्मध्वज के नीचे ही उनके देवता संग साधु-संत विराजते हैं। यह अखाड़ों की पहचान होती है। इसीलिए धर्म ध्वज फहराए जाते हैं। साथ ही अपने आराध्य देव की अगुवाई में पूजन और अमृत स्नान होता है।

13 अखाड़ों के ये हैं देवता

शैव, वैष्णव, वैरागी, उदासीन और सिख परंपरा के कुल 13 अखाड़े हैं। सभी के अलग-अलग देवता हैं। पंचदशनाम जूना अखाड़े भगवान दत्तात्रेय, अटल अखाड़े के भगवान गणेश, आनंद अखाड़े के सूर्यदेव, आह्वान अखाड़े के भगवान गणेश, निरंजनी अखाड़े के भगवान कार्तिकेय, महानिर्वाणी अखाड़े के कपिलमुनि, पंच अग्नि अखाड़े की गायत्री मां व अग्नि देव, दिगंबर अखाड़े के बालानंद स्वामी, निर्मोही और निर्वाणी अखाड़े के हनुमान, पंचायती बड़ा उदासीन व पंचायती नया उदासीन अखाड़े के पंचदेव और निर्मल अखाड़े के गुरुग्रंथ साहिब आराध्य हैं।

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