देश में एक आतंकवादी को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया, आरएसएस के कार्यालय में ठहराया गया। शासनतंत्र का अराजकतत्वों को संरक्षण प्राप्त है। शंकराचार्य प्रामाणिक होने चाहिए, सपाई, बसपाई और भाजपाई नहीं। सबको पुरी के शंकराचार्य से डर लगता है। मैं किसी को डराता नहीं हूं। व्यास पीठ का कोई भी आचार्य हो, शासन तंत्र का अनुगामी बने, नहीं तो हम रहने नहीं देंगे। यह कहना है गोवर्धनमठ पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का।
गोवर्धनमठ पुरी के शंकराचार्य ने कहा कि अंग्रेजों और मुसलमानों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया। लेकिन, आतंकवादी को शंकराचार्य नहीं बनाया। अब तो जगद्गुरुओं और नकली शंकराचार्यों की भरमार है। मॉरीशस आदि में एक आतंकवादी को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया, आरएसएस के कार्यालय में ठहराया गया। मैं किसी को डराता नहीं हूं। व्यास पीठ का कोई भी आचार्य हो, शासन तंत्र का अनुगामी बने, नहीं तो हम रहने नहीं देंगे। परंपरा प्राप्त शंकराचार्य होने चाहिए, जिनका कोई व्यक्ति अनुगमन करे तो धर्म लाभ प्राप्त कर सके। मुझे एक करोड़ आतंकवादी और अराजकतत्व घेरेंगे, तब भी डर नहीं है।
सनातन बोर्ड पर राय
शंकराचार्य अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो इसकी आवश्यकता क्या है। ऐसी कौन सी समस्या है, जिसका समाधान हम लोगों के यहां नहीं हो सकता है। विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर मैंने कई समस्याएं सुलझाई हैं। लेकिन, अलग से लकीर खींचने का चलन हो गया है। हमारी उपेक्षा की गई। फिर भी मैं मुस्कुराता रहता हूं। वहीं, नकली शंकराचार्य अपनी थाती के लिए पैसा बनाते हैं या खुद को पूजवाने की भावना ज्यादा रखते हैं।