मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में गुरु गोरक्षनाथ भिक्षा मांगते हुए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मशहूर ज्वाला देवी मंदिर गए। सिद्ध योगी को देख देवी साक्षात प्रकट हो गईं और गुरु को भोजन का आमंत्रण दिया। जब गुरु पहुंचे तो वहां मौजूद कई तरह के व्यंजन देख ग्रहण करने से इनकार कर दिया और भिक्षा में मिले चावल-दाल ही ग्रहण करने की बात कही।

गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर्व पर बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा युगों पुरानी है। भगवान सूर्य के प्रति आस्था से जुड़े इस पर्व पर खिचड़ी चढ़ाने का इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा है। जिसका आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निर्वाह किया जा रहा है। मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में गुरु गोरक्षनाथ भिक्षा मांगते हुए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मशहूर ज्वाला देवी मंदिर गए। सिद्ध योगी को देख देवी साक्षात प्रकट हो गईं और गुरु को भोजन का आमंत्रण दिया। जब गुरु पहुंचे तो वहां मौजूद कई तरह के व्यंजन देख ग्रहण करने से इनकार कर दिया और भिक्षा में मिले चावल-दाल ही ग्रहण करने की बात कही। देवी ने कहा कि आप के द्वारा लाए गए चावल-दाल से ही भोजन कराऊंगी।उधर, उन्होंने भोजन बनाने के लिए आग पर पात्र में पानी चढ़ा दिया। वहां से गुरु भिक्षा मांगते हुए गोरखपुर चले आए। यहां उन्होंने राप्ती व रोहिणी नदी के संगम पर एक स्थान का चयन कर अक्षय पात्र रख दिया। उसी दौरान जब खिचड़ी यानी मकर संक्रांति का पर्व आया तो लोगों ने एक योगी का भिक्षा पात्र देखा तो उसमें चावल और दाल डालने लगे। जब काफी मात्रा में अन्न डालने के बाद भी पात्र नहीं भरा तो लोगों ने इसे योगी का चमत्कार माना।
गोरक्षपीठाधीश्वर से होती है खिचड़ी चढ़ाने की शुरुआत : मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी चढ़ाने की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा होती है, उसके बाद श्रद्धालुओं के खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
गोरक्षपीठाधीश्वर कल चढ़ाएंगे आस्था की खिचड़ी
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में गुरु गोरखनाथ की विशेष पूजा करेंगे। फिर मंदिर की तरफ से बाबा को खिचड़ी अर्पित की जाएगी। इसके बाद नेपाल राजपरिवार से आई खिचड़ी चढ़ाई जाएगी। इसके बाद नाथ संप्रदाय के योगी, पुजारी और मंदिर के गृहस्थ शिष्य खिचड़ी चढ़ाएंगे।
मंदिर पहुंची नेपाल राजपरिवार की खिचड़ी
गोरक्षनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि नेपाल राजपरिवार की खिचड़ी गोरक्षनाथ मंदिर पहुंच चुकी है। 14 को पूजन के बाद महारोट का प्रसाद लेकर आचार्य नेपाल जाएंगे।