पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में विशेष गंगा स्नान किया जाएगा। इसके बाद दान-पुण्य का लाभ मिलेगा। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।

सूर्य के दक्षिणायन की पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी को है। पुनर्वसु नक्षत्र और एंद्र योग में श्रद्धालु गंगा स्नान व दान-पुण्य करेंगे और चंद्रमा को प्रिय पूर्णिमा और सूर्य का मास पौष का फल प्राप्त करेंगे। घरों में हवन पूजन व सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करेंगे। पीपल वृक्ष की भी पूजा कर धन्य-धान्य की कामना करेंगे। पौष पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी को ही भोर में लग रहा है। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पौष पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी को भोर में 4:33 बजे से अगले दिन 14 जनवरी को भोर में 3:42 बजे तक रहेगी। इसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र और एंद्र योग में व्रत, पूजन-अर्चन करने का शुभ मुहूर्त रहेगा। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होते हैं। पौष पूर्णिमा पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का महत्व है। पौष पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है।