तपोनिष्ठ संतों की झलक पाने के लिए संगमनगरी की सड़कों पर कतारबद्ध आस्थावानों का रेला उमड़ पड़ा। पुरानेे शहर की सड़कें हों या गलियां, गेंदा-गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा फूलों की राह बन गई।

ऊंट, घोड़े, रथों और सुसज्जित बग्घियों पर श्री शंभू पंच दशनाम अग्नि अखाड़े के राजसी प्रवेश में बृहस्पतिवार को सनातन की अलौकिक छटा गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर छा गई। तपोनिष्ठ संतों की झलक पाने के लिए संगमनगरी की सड़कों पर कतारबद्ध आस्थावानों का रेला उमड़ पड़ा। पुरानेे शहर की सड़कें हों या गलियां, गेंदा-गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा फूलों की राह बन गई। बैंडबाजे के साथ भक्ति धुनों से जहां इस अप्रतिम शोभायात्रा को संगीतमय बनाया गया, वहीं आस्थावान मुग्ध होकर झूमते, थिरकते संतों के पीछे संगम तक पहुंचे। अग्नि अखाड़े के छावनी प्रवेश में सनातन का अद्भुत और अलौकिक समागम देखते ही बना। दिन के 11 बजे चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर से अग्नि अखाड़े के तपोनिष्ठ संत, श्रीमहंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर रथारूढ़ होकर निकले। सबसे आगे ध्वजा-पताका चल रही थी। इसके बाद घोड़ों पर सवार संन्यासी डंका पीटते हुए निकले। अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णानंद ब्रह्मचारी सुसज्जित रथ पर सवार थे, तो तपोनिधि संत स्वामी संपूर्णानंद ब्रह्मचारी अपने शिष्यों के साथ रथारूढ़ होकर छत्र-चंवर के साथ निकले।
एक सुसज्जित रथ पर अखाड़े की ईष्ट देवी मां गायत्री के चित्र का दिव्य दर्शन कर भक्त निहाल हो रहे थे। रथों पर सजाए गए चांदी के हौदों पर आशीर्वाद मुद्रा में सवार होकर गुजरते संतों को देखने के लिए लोग टकटकी लगाए रहे।
संगम पर पूजन, मेला प्रशासन ने किया संतों का स्वागत
प्रयागराज। महाकुंभ क्षेत्र में अग्नि अखाड़े के संतों के छावनी प्रवेश पर मेला प्रशासन ने अगवानी की। मेलाधिकारी विजय किरन आनंद, एसएसपी सुरेश चंद्र द्विवेदी समेत कई अफसरों ने संतों का माला पहनाकर स्वागत किया। इसके बाद संगम पर सविधि पूजा के बाद अग्नि अखाड़े के संत अखाड़ा सेक्टर में अपनी छावनी में प्रवेश कर गए।