कुंभ और महाकुंभ में स्नान क्रम का निर्धारण अखाड़ों की ताकत के आधार पर किया गया है।” दशनाम नागा संन्यासी” नामक महंत लालपुरी की पुस्तक में कुंभ पर्व के समय प्रथम स्नान के लिए मुगलकाल और फिर ब्रिटिश हुकूमत के समय पांच बड़े युद्धों का उल्लेख मिलता है।

कुंभ और महाकुंभ में शाही स्नान के लिए कई बार युद्ध हुए हैं। तब कुंभ में प्रथम स्नान के लिए लड़ाई की मुख्य वजह सनातन संस्कृति की पक्षधर सत्ता का नहीं होना था। उस दौर की सरकारों की ओर से कुंभ पर्व के लिए न तो कोई बजट दिया जाता था और ना ही किसी तरह की सुविधा और सुरक्षा। ऐसे में अलग-अलग समूहों के लोग अपनी संगठित शक्ति के आधार पर कुंभ में प्रथम स्नान का दावा करते थे। इसके लिए संगम से लेकर हर की पैड़ी तक कई बार रक्तपात के प्रमाण मिले हैं। कुंभ और महाकुंभ में स्नान क्रम का निर्धारण अखाड़ों की ताकत के आधार पर किया गया है।” दशनाम नागा संन्यासी” नामक महंत लालपुरी की पुस्तक में कुंभ पर्व के समय प्रथम स्नान के लिए मुगलकाल और फिर ब्रिटिश हुकूमत के समय पांच बड़े युद्धों का उल्लेख मिलता है। ”कुंभ पर्वों के स्नान क्रम” नामक अध्याय में लालपुरी लिखते हैं कि देश में मुगलों के बाद ब्रिटिश शासन में सनातन संस्कृति को घोर उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता था।
शक्ति के आधार पर अखाड़ों के शाही स्नान के क्रम का हुआ है निर्धारण
महंत लाल पुरी बताते हैं कि इसी के बाद ब्रिटिश सरकार ने युद्धों के प्रमाणों और ऐतिहासिक विवरणों के आधार पर सभी 13 अखाड़ों के शाही स्नान के क्रम का निर्धारण किया। इसके तहत प्रथम शाही स्नान का अधिकार नागा संन्यासियों को दिया दया। दूसरे स्थान पर वैरागी परंपरा के साधुओं को शाही स्नान करने की व्यवस्था दी गई है। उदासीन परंपरा के अखाड़े तीसरे नंबर पर और अंत में निर्मल अखाड़े के साधु शाही स्नान करते हैं।