निर्वाणी अखाड़े में साधुओं के चार विभाग हैं। तीन साल की सेवा के बाद मुरेटिया की पदवी मिलती है। वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़ों में निर्वाणी अनि अखाड़ा प्रमुख है।

वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़ों में निर्वाणी अनि अखाड़ा संस्कृति-भक्ति की रक्षा के केंद्र के रूप में सबसे शक्तिशाली माना जाता रहा है। चाहें संतों की सुरक्षा का मसला रहा हो या फिर हिंदू देवी-देवताओं के मठ-मंदिरों के संरक्षण का, निर्वाणी अनि अखाड़ा हमेशा सनातन संस्कृति की आवाज के रूप में सुर्खियों में रहा है। यह पहला अखाड़ा है, जहां साधु चार विभागों में काम करते हैं। अयोध्या में हनुमानगढ़ी पर अधिकार होने की वजह से यह सबसे ताकतवर अखाड़ा माना जाता है। इसके श्रीमहंत धर्मदास राम मंदिर मामले में पक्षकार रहे हैं। वह बताते हैं कि निर्वाणी अनि अखाड़े में साधुओं के चार विभाग हैं। इनमें हरद्वारी, वसंतिया, उज्जैनिया और सागरिया प्रमुख हैं। महंत धर्मदास बताते हैं कि इस अखाड़े में महंत की पदवी पाने के लिए नए संन्यासियों को लंबे समय तक गुरु की सेवा करनी पड़ती है। गुरु के प्रसन्न होने पर श्रीपंच की राय से महंत की गद्दी मिलती है। वैष्णव अखाड़े की परंपरा के अनुसार जब भी कोई नया साधु संन्यास ग्रहण करता है तो तीन साल की सेवा के बाद उसे ‘मुरेटिया’ की पदवी दी जाती है।