नई दिल्ली: के. परासरण (K. Parasaran) का नाम आज देश का बच्चा बच्चा जान गया है, जितना श्रेय राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janamabhoomi Movement)  से जुड़े नेताओं को इसका श्रेय जाता है, उससे कम श्रेय के परासरण का भी नहीं है. उनकी अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट में जो कानूनी लड़ाई लड़ी गई, तमाम वामपंथी इतिहासकारों के झूठे तथ्यों को तर्कों, और सुबूतों की कसौटी पर खारिज करने का काम राम लला पक्ष के वकीलों ने किया, उसकी प्रेरणा और मार्गदर्शक के परासरण ही थे. लेकिन आम लोग उनकी निजी जिंदगी के बारे में कम ही जानते हैं. आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं, उनके बारे में कुछ अनसुनी और दिलचस्प बातें-

1. के परासरण अपने तर्कों में पुराने हिंदू ग्रंथों का इतना उल्लेख करते हैं कि एक बार मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय किशन कौल ने उन्हें ‘इंडियन बार का पितामह’ की उपाधि दे डाली थी और कहा था कि बिना अपने धर्म से विमुख हुए परासरणजी ने कानून को अपना महती योगदान दिया है.

2. चाहे यूपीए हो या एनडीए, दोनों ही सरकारों में उन्हें काफी सम्मान मिला. इंदिरा गांधी की सरकार में वो सॉलिसिटर जनरल भी रहे और बाद में उन्हें अटॉर्नी जनरल भी बना दिया गया था. अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में (1999-2004) उन्हें संविधान की समीक्षा करने वाली ड्राफ्टिंग एंड एडीटोरियल कमेटी में सदस्य बनाया. वाजपेयी जी ने उन्हें 2003 में पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया तो यूपीए-2 में मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें 2011 में पद्मविभूषण सम्मान दिया और ये तय माना जा रहा है कि मोदी सरकार उन्हें भारत रत्न देने पर विचार कर रही है.

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