
ग्रामीणों को शहरी सुख-सुविधाएं देने के लिए सरकार ने नए निकाय तो बना दिए लेकिन इनके हिस्से में आने वाली जमीन को इन्हें सुपुर्द नहीं किया गया। इस वजह से खाली पड़ी ग्राम समाज की इन सैंकड़ों बीघा जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जे चल रहे हैं। शहरी विकास निदेशालय की ओर कई बार इस संबंध में संबंधित जिलों के डीएम को पत्र भेजे जा चुके हैं
इन पत्रों में जमीनों पर हुए अवैध कब्जों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जमीन निकायों के सुपुर्द की जाए। पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार और फिर पुष्कर सिंह धामी की सरकार में कई गांवों को मिलाकर नगर पंचायतें बनाने का सिलसिला जारी है। पिछले साल हरिद्वार जिले में ढंडेरा, इमलीखेड़ा, रामपुर, पाडली गुर्जर को नगर पंचायत बनाया गया।
ऊधमसिंहनगर जिले में लालपुर, सिरोरीकलां, नगला को और बागेश्वर जिले में गरुड़ व पौड़ी जिले में थलीसैंण को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया। इससे पहले सेलाकुई सेंट्रल होप टाउन का नगर पंचायत का दर्जा मिला था। आसपास के कई गांवों को मिलाकर यह नगर पंचायतें अस्तित्व में तो आ गई, लेकिन इनके पास आज तक भी अपनी जमीनें नहीं हैं। जो ग्राम समाज की जमीनें इन्हें मिलनी चाहिए थीं, वह आज तक नहीं मिली।
पहले उन जमीनों की निगरानी में पटवारी की भूमिका अहम होती थी लेकिन नगर पंचायतें बनने के बाद वह भी नहीं रही। लिहाजा, इन लावारिस पड़ी जमीनों पर प्रदेेशभर में बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। नगर पंचायतों के परिक्षेत्र में होने के बावजूद वह इन कब्जों को रोकने में अक्षम हैं।