मामले में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह मुस्लिम पक्ष की ओर से वाद से हटाने के लिए साजिश की जा रही है। 15 जून को ही प्रदेश शासन की एनओसी अदालत में दाखिल कर दी गई थी।

ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दायर याचिका में बुधवार को हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई कि ज्ञानवापी में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं। स्वयंभू की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती, क्योंकि इसे भगवान शंकर ने स्वयं स्थापित किया है। उन्होंने वर्ष 1997 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की नजीर प्रस्तुत करते हुए पक्ष रखा कि काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1993 में यूपी विधानमंडल ने उस आराजी पर हिंदुओं का अधिकार स्वीकार किया है। इस मंदिर को आम जनता की प्रॉपर्टी माना है और यह स्थिति पूरे परिसर पर लागू होती है। वहां जनता को पूजा का अधिकार संवैधानिक है। इसके बाद जिला जज ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 जुलाई तय की है।