बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में धारचूला से लाए मसाले बेचते किशन बोनाल और उनकी पत्नी आशा बोनाल। सं?
बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में धारचूला से लाए मसाले बेचते किशन बोनाल और उनकी पत्नी आशा बोनाल।
उत्तरायणी मेले में सोमवार को हेलीकॉप्टर से बाबा बागनाथ धाम पर पुष्प वर्षा की गई। सवा क्विंटल फूलों की बारिश के आकर्षक नजारे को देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटे। नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल और उनकी धर्मपत्नी पूर्व ब्लॉक प्रमुख रेखा खेतवाल की ओर से निजी खर्च पर यह कार्यक्रम कराया गया।

हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने का कार्यक्रम दोपहर 12 बजे तय किया गया था। मंदिर पर फूलों की वर्षा का आकर्षक नजारा देखने के लिए नुमाइशखेत से लेकर मंदिर परिसर तक काफी संख्या में लोग एकत्र हुए। करीब 10 मिनट की देरी से हेलीकॉप्टर ने डिग्री कॉलेज से उड़ान भरी और नगर के तीन चक्कर लगाने के बाद मंदिर पर फूल बरसाकर बाबा बागनाथ का पुष्पाभिषेक किया। इस दौरान पूरे मंदिर परिसर, जूना अखाड़ा के मंदिर समूह समेत सरयू तट पर बनी भगवान शिव की मूर्ति तक पर पुष्प वर्षा की गई। पुष्प वर्षा के दौरान हेलीकॉप्टर में डीएम अनुराधा पाल, पालिकाध्यक्ष और उनकी पत्नी मौजूद थीं। पालिकाध्यक्ष खेतवाल ने बताया कि उनके मन में लंबे समय से यह विचार चल रहा था। इस उत्तरायणी में हेली सेवा के आयोजन से यह सपना पूरा हो गया है।

सरयू बगड़ में हुआ त्रिमाघी स्नान और बागनाथ मंदिर में पूजा

बागेश्वर। उत्तरायणी कौतिक के साथ सरयू नदी में त्रिमाघी स्नान और उपनयन संस्कार कराने का सिलसिला मेले के दूसरे दिन भी जारी रहा। लोगों ने बागनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।
माघ मास के पहले तीन दिन त्रिमाघी स्नान का बड़ा महत्व माना गया है। सरयू नदी में सदियों से त्रिमाघी स्नान के लिए मकर संक्रांति से लोग उमड़ते हैं। कई लोग तीन दिनों का उपवास भी रखते हैं। तीन दिनों तक बाबा बागनाथ में पूजा अर्चना कर खिचड़ी का दान दिया जाता है। त्रिमाघी उपवास का समापन बागनाथ मंदिर के सामने सरयू पार स्थित वेणीमाधव मंदिर में पूजा अर्चना के साथ होता है। सोमवार को भी सुबह से सरयू स्नान और बागनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु उमड़े, हालांकि दूसरे दिन कम भीड़ रही। लोगों ने सरयू तट पर बटुकों का उपनयन संस्कार भी करवाया। बागनाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नंदन सिंह रावल ने कहा कि सुबह सूर्योदय से पूर्व से ही मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला शुरु हो गया था। पूरे दिन लोगों ने पूजा अर्चना की। संवाद

रोई ना जै याद मेरी आई वै…
उत्तरायणी कौतिक की दूसरी शाम पंजाबी गायक जस्सी गिल, बब्बल राय के नाम
उत्तरायणी कौतिक की दूसरी शाम पंजाबी गायक जस्सी गिल और बब्बल राय के नाम रही। दोनों गायकों ने पंजाबी गीतों का ऐसा तड़का लगाया कि दर्शक मस्त होकर नाचने लगे।
रविवार की रात करीब नौ बजे पंजाबी गायक जस्सी गिल और बब्बल राय ने मंच संभाला। पंजाबी गायकों ने मंच पर आते ही पंजाब गीतों की झड़ी लगा दी। जस्सी गिल ने रोई ना जै याद मेरी आई वै गीत गाकर मंच पर धमाल मचा दिया। उन्होंने तेनू प्यार करणा सिखदा, तेरे यार भतेरे ने, मेरा तू ही है बस यारा, जिन्नै मेरा दिल लुटिया गीत से समा बांधा। उसके बाद जस्सी गिल ने सपने में मिलती हो कुड़ी मैनू सपने में मिलती है गीत गाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
पंजाबी गायक बब्बल राय ने जिन्ने मेरा दिल लूटिया, पैग पैग करके बोतल में चाली, मोरनी बणके मोरनी, प्यार विच मुंडा बदनाम हो गया गीत गाकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। पंजाबी गायकों की स्टार नाईट के दीदार के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचे हुए थे। पंजाबी गीतों में लोगों ने खूब ठुमके लगाए। वी वायरस डांस ग्रुप के कलाकारों ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

पंजाबी गायकों से कुमाऊंनी गीतों की फरमाइश
स्टार नाइट में पंजाबी गायक जस्सी गिल और बब्बल राय उस समय असहज हो गए, जब दर्शक दीर्घा से कुमाऊंनी गीतों की फरमाइश होने लगी। दर्शकों की बार-बार कुमाऊंनी गीतों की फरमाइश से पंजाबी गायक असहज दिखे।
अराजक तत्वों ने मचाया हुड़दंग
उत्तरायणी मेले की पहली स्टार नाइट में हुड़दंग भी खूब देखने को मिला। हुड़दंगियों ने दर्शक दीर्घा में लगाई गई कुर्सियां तोड़ दी। हुड़दंगियों से निपटने के लिए पुलिस ने मोर्चा संभाला। लाठियां फटकारीं।
धारचूला, मुनस्यारी के उत्पाद बन रहे लोगों की पसंद
व्यापारिक पहचान रखने वाला उत्तरायणी मेला सदियों से स्थानीय उत्पादों के लिए अच्छा बाजार रहा है। खेती-किसानी का सामान हो या मसाले और ऊन के बने गर्म कपड़े, हमेशा से मेलार्थियों की पसंद रहे हैं। मेले में आने वाले स्थानीय कारोबारी भी लोगों की पसंद के मुताबिक इन उत्पादों को लेकर बागेश्वर पहुंचते हैं। कई दशकों से उत्तरायणी मेले में आने वाले पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र धारचूला और मुनस्यारी से व्यापारी ऊन के उत्पाद और विभिन्न प्रकार के मसाले लेकर मेले में पहुंचे हैं। वहीं जिले के कपकोट क्षेत्र में रिंगाल से खेतीबाड़ी से संबंधित उत्पाद बनाने वाले लोग भी अपने उत्पादों की बिक्री के लिए उत्तरायणी मेले में आए हैं।
अनर्सा के रिंगाल उत्पाद बन रहे किसानों की पसंद
समय के साथ खेतीबाड़ी के काम में बदलाव आया है। अब तकनीकी और आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग बढ़ रहा है। बावजूद इसके रिंगाल के बने डलिया, सूप, मोस्टे की किसानों के बीच काफी मांग है। कपकोट तहसील के अनर्सा गांव निवासी तिल राम बताते हैं कि वह पिछले 40 साल से उत्तरायणी मेले में रिंगाल के उत्पाद लेकर पहुंच रहे हैं। हालांकि अब पहले जितनी बिक्री नहीं हो रही, लेकिन घर चलाने लायक सामान बिक जाता है। वर्तमान में रिंगाल के बने सूप की कीमत 200 रुपये, डलिया की कीमत 220 से 270 रुपये और मोस्टे की कीमत 2200 रुपये है। खेतीबाड़ी के लिए जरूरी इन उत्पादों की ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खरीदारी कर रहे हैं।
32 साल से उत्तरायणी में बेच रहे धारचूला के मसाले
बागेश्वर। पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील के बौन गांव निवासी किशन सिंह बोनाल और उनकी धर्मपत्नी आशा बोनाल पिछले 32 वर्षों से उत्तरायणी मेले में क्षेत्र में होने वाले मसालों की बिक्री कर रहे हैं। किशन बताते हैं कि वह अपने साथ गंद्राणी, जंबू, तिमूर, काला जीरा, कुटकी, चिरायता, ग्रीन टी, जटामासी, सालम पंजा आदि मसालों के साथ क्षेत्र की प्रसिद्ध राजमा दाल लेकर आए हैं। मसाले 30 रुपया तोला से लेकर 100 रुपये तोला तक में उपलब्ध हैं। राजमा 250 रुपये किलो बेच रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में होने वाले मसालों की काफी मांग है। उत्तरायणी मेले में कारोबार भी अच्छा रहता है। संवाद

बागेश्वर। मुनस्यारी के बूंगा गांव निवासी 84 साल के कालूराम 1962 से उत्तरायणी मेले में हाथ से बने दन, थुलम और चुटका लेकर आ रहे हैं। हालांकि पहले के मुकाबले इन उत्पादों की मांग कम होने से वह निराश हैं। वह बताते हैं कि मशीन से बने उत्पादों की कीमत कम होती है। हाथ से बेहतर काम होता है, लेकिन मेहनत और खर्च अधिक आता है। पुराने समय के लोग इस बात को जानते थे और अच्छी कीमत मिल जाती थी। आधुनिक समय में लोग हमारी कलाकारी पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। हस्तशिल्प के उत्पाद केवल रोजीरोटी का जरिया नहीं, हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा भी हैं, जो उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे दम तोड़ रही है।

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में हस्तनिर्मित दन दिखाते बूंगा गांव के कालू राम। संवाद

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में हस्तनिर्मित दन दिखाते बूंगा गांव के कालू राम।

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में मुख्य मंच से रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करतीं छात्राएं। संवाद

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में मुख्य मंच से रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करतीं छात्राएं।

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में हेलीकॉप्टर से बागनाथ मंदिर के ऊपर पुष्पवर्षा की गई। संवाद

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में हेलीकॉप्टर से बागनाथ मंदिर के ऊपर पुष्पवर्षा की गई।

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में हेलीकॉप्टर से बागनाथ मंदिर के ऊपर पुष्पवर्षा की गई। संवाद

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में हेलीकॉप्टर से बागनाथ मंदिर के ऊपर पुष्पवर्षा की गई।

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में सरयू बगड़ में उमड़ी मेलार्थियों की भीड़। संवाद

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में सरयू बगड़ में उमड़ी मेलार्थियों की भीड़।

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