अंजुमन इंतजामिया मस्जिद प्रबंध समिति की ओर से श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान, नंदी का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिए कोर्ट कमिश्नर भेजने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसें हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा है कि साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए यदि कमीशन भेजा गया है तो इससे याची के अधिकार का उल्लघंन नहीं होता।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के विश्वेश्वर नाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की प्रबंध समिति की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी है। याचिका में श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान, नंदी की मूर्तियों का मौके पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति का विरोध किया गया था। कोर्ट ने कहा है कि साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए यदि कमीशन भेजा गया है तो इससे याची के अधिकार का उल्लघंन नहीं होता। कमीशन भेजना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ  से दाखिल याचिका पर दिया है।
सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा कोर्ट कमिश्नर भेजने के आदेश के खिलाफ  याचिका दायर की गई थी। राखी सिंह और आठ अन्य ने ज्ञानवापी मंदिर परिसर स्थित श्रृंगार गौरी, हनुमान, नंदी, गणेश के दर्शन-पूजन के अधिकार को लेकर सिविल कोर्ट वाराणसी में मुकदमा दायर किया है। जिसमें स्थायी निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की गई है।
हाईकोर्ट ने कहा- कोर्ट कमीशन भेजना अधिकार क्षेत्र में
कोर्ट ने अंतरिम व्यादेश जारी करने से इंकार कर दिया और विपक्षियों को सम्मन जारी कर जवाब मांगा। उधर वादी ने मौके का निरीक्षण कर उसके अधिकार में व्यवधान उत्पन्न करने और दर्शन पूजन में सुरक्षा सुविधाएं मुहैया कराने की अर्जी दी। एडवोकेट कमिश्नर भेजने की मांग की। जिस पर मौके की रिपोर्ट मंगाने के लिए कोर्ट ने अजय कुमार को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया और उनसे रिपोर्ट मांगी।
इसे ही अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की तरफ से चुनौती दी गई थी। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की। इनका कहना था कि कोर्ट साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए कमीशन नहीं भेज सकती। कमिश्नर ने पुलिस बल मांगा है। इसका मतलब है अभी तक कमीशन लागू नहीं हुआ है और उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी है।
कोर्ट ने कहा कि कुछ साक्ष्य ऐसे होते हैं जिन्हें पक्षकार पेश नहीं कर सकते। कोर्ट यदि साक्ष्य के लिए कमीशन भेजती है तो यह उसके अधिकार क्षेत्र में है। कमीशन नियुक्त करने से याची के कोई अधिकार प्रभावित नहीं होते। राज्य सरकार की तरफ  से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।

By Tarun

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