उज्जैन में सरकारी जमीन की रजिस्ट्री और उस पर बिल्डिंग परमिशन मिलने का मामला सामने आया है। इस मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग व नगर निगम के छह अधिकारियों के साथ-साथ पांच बिल्डरों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

मामला उज्जैन के ऋषिनगर पेट्रोल पंप के पास करीब एक लाख वर्गफीट सरकारी जमीन का है। इसकी रजिस्ट्री निजी व्यक्ति के नाम कर दी गई। जमीन को चद्दर से ढंककर मल्टी निर्माण शुरू कर दिया गया। बैंक से लोन लेने की जानकारी भी मिली है। बिल्डर और उसके परिवार के साथ-साथ टीएंडसीपी व उज्जैन नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। राजेंद्र कुवाल नामक व्यक्ति ने मामले की शिकायत की तो फर्जीवाड़ा सामने आया। ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

शिकायत के बाद हुआ केस दर्ज
ईओडब्ल्यू एसपी दिलीप सोनी के मुताबिक सरकारी जमीन को फर्जी दस्तावेजों से निजी बताया गया था। इसके बाद उस पर मल्टी निर्माण शुरू किया गया। अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है जिस पर केस दर्ज कर जांच शुरू की है। शुक्रवार को ईओडब्ल्यू ने बिल्डर महेश पलोड़, गौरव पलोड़, राजेंद्र पलोड़, ब्रजबाला, सुनीता पलोड़ के अलावा टीएंडसीपी के ज्वाइंट डायरेक्टर एसके मिश्रा, नगर निगम के भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा, उपयंत्री मीनाक्षी शर्मा, उपयत्री महेश सलोत्रे, मनोज पाठक, संतोष शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी, षडयंत्र आदि धाराओं में केस दर्ज किया।

 

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