कोटद्वार से रोडवेज और जीएमओयू की कई बसें चारधाम यात्रा पर जाने से ब्रांच रूटों पर वाहनों का टोटा बन गया है, जिससे लोगों को आवाजाही के लिए बसें नहीं मिल पा रही हैं। कई रूटों पर यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि कोटद्वार से रोडवेज की 8 और जीएमओयू की 115 बसें यात्रा में लगी हैं। बसों की कमी के कारण लोगों को जीप-टैक्सियों से आवाजाही करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

उत्तराखंड परिवहन निगम के कोटद्वार डिपो में 65 बसों का बेड़ा है, जिसमें से 48 निगम की और 17 अनुबंधित बसें शामिल हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से कोटद्वार डिपो की 8 बसें चारधाम यात्रा पर पहले ही भेजी जा चुकी हैं। चारधाम यात्रा के लिए पांच बसों की डिमांड मिली है। जबकि दिल्ली रूट पर प्रतिदिन 18 से 22 रोडवेज बसों का संचालन होता है। डिपो में बसों की कमी होने के कारण पहाड़ी और मैदानी दोनों रूटों के यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों को कई पर्वतीय रूटों पर आवाजाही के लिए बसें नहीं मिल पा रही हैं। इससे ज्यादा बुरा हाल जीएमओयू की बस सेवाओं का बना है। जीएमओयू के मुख्यालय कोटद्वार स्थित डिपो से सामान्य दिनों में करीब 200 बसों का संचालन होता है। अधिकांश बसों का संचालन पर्वतीय रूटों पर होता है, लेकिन अधिकांश बसें चारधाम यात्रा से मिली डिमांड के आधार पर ऋषिकेश भेज दी गई हैं, जिससे पर्वतीय रूटों पर महज 85 बसों का संचालन हो पा रहा है। रोडवेज और जीएमओयू की बसों की कमी के कारण यात्रियों को जीप टैक्सियों से आवाजाही करनी पड़ रही है। बसों के बजाय जीप-टैक्सियों का किराया अधिक होने के कारण लोगों की जेब पर भी इसका असर पड़ रहा है। ब्रांच रूटों के साथ ही मुख्य मार्गों से मनमाना किराया वसूलने की शिकायतें मिलने लगी हैं। आलम यह है कि जीप टैक्सी चालक बीच के स्टेशनों की सवारियां भी नहीं बिठा रहे हैं, जिससे परिवहन व्यवस्था चरमरा गई है।

यात्रा प्रशासन की डिमांड पर अधिकांश बसें चारधाम यात्रा में भेजी गई हैं, जिससे 50 फीसदी पर्वतीय रूट प्रभावित हुए हैं। जिन रूटों पर दो बस सेवाएं संचालित होती थी, वहां एक बस सेवा का संचालन कर व्यवस्था बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। – विजयपाल सिंह नेगी सचिव, जीएमओयू।
रोडवेज की आठ बसें पहले ही यात्रा पर भेजी जा चुकी हैं। निदेशालय की ओर से 5 बसों की डिमांड और भेजी गई थी, लेकिन कोटद्वार डिपो में बसों की कमी को देखते हुए ये बसें नहीं भेजी गईं। सभी पर्वतीय रूटों पर केवल एक-एक बस सेवा का संचालन किया जा रहा है।

By Tarun

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