ज्ञानवापी परसिर में दूसरे दिन कोर्ट कमिश्नर का सर्वे नहीं हो सका। विपक्षियों ने कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया। सर्वे के अधूरे रहने पर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री ने नाराजगी जताई है।

काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने के लिए सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने सर्वे के अधूरे रहने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिन आक्रांताओं ने मंदिर तोड़े, उनके वंशजों को संविधान और कानून व्यवस्था में कोई विश्वास नहीं है।

कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध जाकर सर्वे न होने देना और वहां अराजकता की स्थिति पैदा करना इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सर्वे कब तक रोकेंगे। सर्वे करने वाले अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे और इस पर निर्णय न्यायालय को लेना है।

इस तरह की अराजकता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं

अदालत ने स्पष्ट रूप से पूरे परिसर का सर्वे कराने को कहा है। किसी भी सभ्य देश और समाज में इस तरह की अराजकता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है। यह सब सुनियोजित षड़यंत्र के तहत किया गया है। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता है।

इससे पहले स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा था कि ज्ञानवापी के विवादित परिसर का सर्वेक्षण पहली बार नहीं हो रहा है। 1937 में बनारस के तत्कालीन सिविल जज एस बी सिंह ने एक नहीं बल्कि दो बार मस्जिद परिसर और आसपास का स्वयं निरीक्षण किया था। पहली बार संबंधित मुकदमे की सुनवाई से पहले और दूसरा निरीक्षण फैसला सुनाने के पूर्व किया गया था।

शनिवार को क्यों नहीं हुआ सर्वे
अधिवक्ता आयुक्त ने शनिवार दोपहर बाद करीब साढ़े चार बजे सर्वे शुरू कराया। मस्जिद की चौहद्दी और बाहरी दीवारों की स्थिति देखी। मस्जिद में प्रवेश करने पहुंचे तो अंदर पहले से मौजूद नमाजियों व विपक्षी अधिवक्ताओं ने रोक दिया। उन्होंने मस्जिद के अंदर प्रवेश का कोर्ट का आदेश मांगा। कहा कि कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के आदेश में मस्जिद के अंदर प्रवेश का जिक्र नहीं है। लिहाजा, बिना आदेश के अंदर नहीं आने दिया जाएगा।

शुक्रवार की तरह शनिवार को ज्ञानवापी परिसर में काफी गहमागहमी रही। परिसर के बाहर गेट नंबर चार पर सुबह से लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। लोगों को इंतजार था कि शायद शनिवार को कुछ बात आगे बढ़े। कोर्ट का आदेश आने के बाद अधिवक्ता आयुक्त की टीम करीब 3:20 बजे गेट नंबर चार पहुंची और टीम ने 3:30 बजे परिसर में प्रवेश किया।

इसके बाद उन्होंने दूसरे दिन मस्जिद की चौहद्दी के बाद बाहरी दीवारों की स्थिति को देखा। बाहर का सर्वे करने के बाद टीम ने जब मस्जिद के अंदर प्रवेश करने का प्रयास किया तो उन्हें रोक दिया गया। अधिवक्ता आयुक्त व वादी के अधिवक्ताओं ने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से अंदर प्रवेश करने के लिए सहयोग मांगा। अधिकारियों ने भी आदेश का हवाला देते हुए कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस के रुख को देखते हुए कार्रवाई रोक दी गई।

वादी पक्ष के अधिवक्ता बोले- कल कोर्ट को देंगे जानकारी

ज्ञानवापी सर्वे मामले में वादी के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि कमीशन की कार्यवाही के आगे विपक्षियों के विरोध के कारण नहीं बढ़ी। शनिवार को पहले से तय समय तीन बजे पहुंचने पर बैरिकेडिंग के अंदर घुसने को लेकर नारेबाजी होने लगी और जाने नहीं दिया गया।

मौके पर कोर्ट कमिश्नर ने पुलिस प्रशासन से पूर्ण सहयोग नहीं मिलने की बात कहते हुए कार्रवाई रोक दी गई। इस बाबत सोमवार को कोर्ट खुलने पर जानकारी कोर्ट को दी जाएगी। वहीं अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता अभय यादव का कहना है वर्तमान सर्वे कमिश्नर से न्याय की उम्मीद नहीं है ऐसे में कार्यवाही में भाग लेने से अलग कर लिया।

कोर्ट कमिश्नर ने आदेश की कॉपी नहीं ली : मुस्लिम पक्ष

अंजुमन इंतेजामिया मजासिद कमेटी के अधिवक्ता एखलाक अहमद ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की ओर से अदालत की कार्यवाही के बाद हम लोग ज्ञानवापी मस्जिद पहुंचे। जहां पहले से कोर्ट कमिश्नर (अधिवक्ता आयुक्त) और वादी पक्ष के अधिवक्ता मौजूद रहे। कोर्ट कमिश्नर को अदालत के आदेश की कॉपी दी गई तो उन्होंने लेने से इंकार कर दिया।

कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि हमें सत्यापित कॉपी चाहिए। ऐसी परिस्थति में उन्हें बताया कि अदालत खुलने पर उन्हें सत्यापित कॉपी मिलेगी। यदि आपत्ति करेंगे तो हम लोग अदालत में एफिडेविड देंगे कि कोर्ट कमिश्नर ने कॉपी लेने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि आपकी गैरमौजूदगी दिखाकर बाहर-बाहर सर्वे कर लिया है। यह लीगल मामला है। हमारी अनुपस्थिति में उन्होंने सर्वे किया है तो करें। ।

जिस समय हम लोग वहां पहुंचे उस समय मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए नमाजी जा रहे थे। कोई अतिरिक्त भीड़ नहीं जुटी थी। जैसे मंदिर में भक्त जा रहे थे वैसे मस्जिद में नमाजी शाम चार बजे के आसपास जा रहे थे। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ऑफ आर्डर में मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का जिक्र नहीं है। इसके बावजूद कोर्ट कमिश्नर वीडियोग्राफी करने पर अड़े हैं। इस दौरान प्रशासन ने काफी सहयोग किया

By Tarun

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