केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चरों को नियमित आराम मिले और पैदल मार्ग पर आवाजाही सुलभ हो, इसके लिए जिलाधिकारी ने नई व्यवस्था बनाई है। अब, गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रोटेशन के हिसाब से प्रतिदिन 4500 से 5000 घोड़ा-खच्चरों का संचालन होगा। जिला प्रशासन ने बीते सप्ताह 16 घोड़ा-खच्चरों की मौत का संज्ञान लेकर यह व्यवस्था बनाई है। साथ ही संचालकों व हॉकर को भी जरूरी निर्देश जारी किए हैं।
केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष 8516 घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण हुआ है। घोड़ा-खच्चर संचालकों द्वारा इनसे अत्यधिक काम लिया जा रहा है, जिससे इन्हें आराम नहीं मिलने से बीते 10 से 16 मई के बीच तीन दिनों में 30 घोड़ा-खच्चरों की मौत हो गई है। घटना का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने तत्काल प्रभाव से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों का संचालन रोटेशन के आधार पर करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने एक दिन में 4500 से 5000 घोड़ा-खच्चरों का संचालन करने को कहा है, जिससे जानवरों को पर्याप्त आराम मिल सके। साथ ही घोड़ा-खच्चर संचालक/हॉकर को भी आईडी के आधार पर जानवर के साथ रहने को कहा है, जिससे किस जानवर के साथ कौन हॉकर चल रहा है इसकी जानकारी मिलती रहे। इधर, डीएम ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा और जानवरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए रोटेशन के तहत संचालन का निर्णय लिया गया है।