पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व विख्यात चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी को वर्ष 2016 में राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया। मरणोपरांत गौरा देवी समेत नौ लोगों को उत्तराखंड रत्न के लिए चयनित किया गया था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी के बेटे चंद्र सिंह राणा को सीएम आवास पर पुरस्कार की धनराशि का चेक सौंपा। इस मौके पर प्रधान पुष्कर सिंह राणा, स्वर्गीय गौरा देवी के सुपौत्र सोहन सिंह राणा, एनएस रावत, प्रेम सिंह राणा आदि मौजूद थे। चंद्र सिंह राणा ने अमर उजाला का धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया।
पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व विख्यात चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी को वर्ष 2016 में राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके परिजनों को उत्तराखंड रत्न के नाम पर सिर्फ प्रशस्ति पत्र सौंपा गया, लेकिन सम्मान निधि की पांच लाख की धनराशि नहीं मिली।
मरणोपरांत गौरा देवी समेत नौ लोगों को उत्तराखंड रत्न के लिए चयनित किया गया था। इस सम्मान में प्रशस्ति पत्र व पांच लाख एक रुपये की सम्मान राशि दी जानी थी। गौरा देवी के पुत्र 78 वर्षीय चंद्र सिंह ने हरस्तर से प्रयास करने के बाद राशि के मिलने की उम्मीद भी छोड़ दी थी।
उत्तराखंड शासन ने सम्मान राशि देने के लिए गौरा देवी के पुत्र चंद्र सिंह से वारिस प्रमाणपत्र व मृत्यु प्रमाणपत्र की मांग की, जिस पर उन्होंने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद को आवश्यक प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराए, लेकिन  उन्हें सम्मान राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। अमर उजाला ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया। जिसके बाद शासन-प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया।

By Tarun

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