केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मंगलवार को पतंजलि योगपीठ पहुंचे। उन्होंने योगपीठ की सीसीआर लैब, पतंजलि रिसर्च लैब, जड़ी-बूटी आधारित हर्बेरियम कलेक्शन और कैनवास पेंटिंग का भ्रमण किया। सैकड़ों वर्ष पुरानी पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि यहां आने से पहले कल्पना नहीं कि थी कि पतंजलि इस स्तर पर शोध और अनुसंधानात्मक कार्यों में जुटा है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को विज्ञान के साथ जोड़ा जा रहा है। हमारी पारंपरिक मेडिसिन और भारत के इतिहास एवं परंपराओं को पुनर्जीवित करने का अहम कार्य किया है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के पतंजलि पहुंचने पर योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने उनका स्वागत किया। पीयूष गोयल ने कहा कि डॉक्टर्स, वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ताओं की पूरी टीम प्रतिबद्धता के साथ इन विषयों को लेकर आगे बढ़ा रही है। अब विश्व में भारत की पहचान वैज्ञानिक मापदंडों पर होगी। विज्ञान और पारंपरिक मेडिसिन को जोड़ते हुए आगे कैसे बढ़ा जाएगा, इसके लिए यहां बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है।

इस मौके पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद पर शोध में संलग्न है। 65 हजार औषधीय पौधों की डॉक्यूमेंटेशन के साथ-साथ करीब साढ़े चार लाख रेफरेंस, दो हजार से ज्यादा ट्राइब्स पर कार्य किया है। पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों के संदर्भ में ऐसी कोई चीज नहीं छोड़ी जो उपलब्ध न हो। जड़ी-बूटी आधारित करीब 35 हजार कैनवास पेंटिंग और 30 हजार लाइन ड्राइंग्स का कलेक्शन पतंजलि के पास है। अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रिया आर्य और आईटी प्रमुख कविंदर ने केंद्रीय मंत्री के सामने शोध एवं टेक्नोलॉजी कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की। केंद्रीय मंत्री ने दो शोधपरक पुस्तकों का विमोचन भी किया। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष जयपाल चौहान, जिला महामंत्री विकास तिवारी, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा आदि मौजूद रहे।

By Tarun

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