त्याग, समर्पण, साधना व संस्कार से परिपूर्ण कल्पवास की अनौपचारिक शुरुआत मकर संक्रांति स्नान पर्व गुरुवार से हो जाएगी। संगम तीरे माघ मास पर्यंत भजन, पूजन व अनुष्ठान चलेगा। कोरोना की भयावह स्थिति के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह व धर्म के प्रति समर्पण कम नहीं है। समस्त सुख-सुविधाएं छोड़कर कल्पवासी मेला क्षेत्र पहुंच रहे हैं।

पुण्य बेला में डुबकी लगाने से देवकृपा की प्राप्ति होगी

माघ मेला में अलग-अलग मठों के महात्मा भी मेला क्षेत्र में शिविर दुरुस्त करने में जुटे हैं। मेला क्षेत्र में माघी पूर्णिमा तक कल्पवास चलता है। मकर संक्रांति में वर्षों बाद पांच ग्रह एक राशि में संचरण करेंगे। ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत जुगलबंदी से स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया है। पुण्य बेला में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं को देवकृपा की प्राप्ति होगी।

बोले, पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि पौष शुक्लपक्ष प्रतिप्रदा तिथि गुरुवार की सुबह 9.36 बजे तक रहेगी। इसके बाद द्वितीया तिथि लग जाएगी। जबकि सूर्य दिन में 2.37 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश प्रवेश करके दक्षिणायण से उत्तरायण से होंगे। इससे देवताओं का दिन व राक्षसों की रात्रि का आरंभ होगा और खरमास की समाप्ति हो जाएगी।

इसलिए बन रहा है दुर्लभ संयोग

आचार्य ने बताया कि गुरुवार का दिन श्रवण नक्षण में सूर्य प्रवेश होने, ब्रज योग व बव करण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इससे मानव में आरोग्यता, राजाओं अर्थात अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्षों में परस्पर प्रेम की वृद्धि होगी। अन्न की उपज अच्छी होने से समाज में समृद्धि आएगी। स्नान का मुहुर्त दिन में 2.37 से शाम 5.17 बजे तक है।

आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा-बनेगा अमृत योग

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि मकर संक्रांति पर  मकर राशि में सूर्य के अलावा चंद्रमा, शनि, बुध व गुरु ग्रह का संचरण होगा। मकर जल की राशि है। यह सुख व समृद्धि की प्रतीक इसमें पांच ग्रहों का योग होना कल्याणकारी है। चंद्र, गुरु व बुध सुखकारी ग्रह हैं। जबकि गुरुवार का दिन व श्रवण नक्षत्र से स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया है। धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु में कहा गया है कि एक राशि में चार या पांच ग्रह के एकत्र होने पर अमृत योग बनता है। ऐसी स्थिति में संगम में स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

इनका करें दान

मकर संक्रांति में स्नान के बाद दान का विशेष महत्व है। गंगा, यमुना, संगम अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करके अन्न, काला तिल, कंबल, देशी घी का दान करना चाहिए।

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