एमएसएमई विभाग का कहना है कि 1.90 लाख नई इकाइयों के स्थापित होने से करीब चार लाख लोगों को रोजगार मिला है। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और उत्पादन के अन्य क्षेत्रों में भी तेजी आएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व अन्य।

मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ का दूसरा कार्यकाल और 100 दिन का लक्ष्य। वादों की भरमार के बीच इरादों का इम्तिहान था। सरकार के प्रयासों से कई लक्ष्य तो तय समय में ही पूरे हो गए, मगर कई लक्ष्य रह गए। युवाओं को सबसे ज्यादा इंतजार भर्तियों का था, मगर 10 फीसदी लक्ष्य ही हासिल हो सका। कई लक्ष्य अधूरे जरूर हैं, लेकिन सरकार के पास इन्हें पूरा करने का पर्याप्त वक्त है।

योगी सरकार के शुरुआती 100 दिन में बड़ा लोन मेला लगाने का वादा पूरा हुआ। नई स्थापित 1.90 लाख इकाइयों को 16 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी गई। लेकिन, नई एमएसएमई नीति का अब भी इंतजार है। इसे भी 100 दिन के भीतर लाने का वादा किया गया था।
एमएसएमई विभाग का कहना है कि 1.90 लाख नई इकाइयों के स्थापित होने से करीब चार लाख लोगों को रोजगार मिला है। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और उत्पादन के अन्य क्षेत्रों में भी तेजी आएगी। नतीजतन, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को तेजी मिलेगी। विभाग ने इस अवधि में पांच सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) बनाने का वादा भी पूरा किया है।

सीएफसी में उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं और मशीनरी का उपयोग करके सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमी अपने उत्पादों की गुणवत्ता को सुधार सकेंगे। ये सीएफसी सिद्धार्थनगर, सीतापुर, अंबेडकरनगर, आगरा आदि जिलों में स्थापित किए गए हैं।

एमएसएमई उत्पादों को अमेजन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने में कामयाबी मिली है। इससे इन उत्पादों को देश-विदेश में आसानी से बाजार मिल रहा है। अमेजन डॉट कॉम से निर्यातकों को जोड़ने के लिए भी एमओयू साइन हो चुका है, जो पहले 100 दिन की प्रमुख घोषणाओं में शामिल था।माना जा रहा है कि इसका लाभ उद्यमियों को शीघ्र मिलने लगेगा। इसी तरह से सभी जिला उद्योग केंद्रों को ऑनलाइन कर दिया गया है। यहां की सुविधाओं या आवेदनों के लिए उद्यमियों को दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है।

नहीं हो सका डिजाइन इंस्टीट्यूट का लोकार्पण

नई एमएसएमई नीति का ड्राफ्ट अभी विभिन्न विभागों में सुझावों और आपत्तियों के स्तर पर ही है। इसलिए कैबिनेट में प्रस्ताव नहीं रखा जा सका है। इसमें एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों के लिए अधिक सुविधा और प्रोत्साहन दिए जाने संबंधी प्रावधान किए जाने हैं।

लखनऊ में उप्र. इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड रिसर्च (यूपीआईडीआर) के नए भवन का लोकार्पण भी होना था, जो नहीं हो सका। ओडीओपी मिशन के गठन की प्रक्रिया भी पूरी होनी थी, जो फिलहाल फाइल के स्तर पर ही है। इसे भी हरी झंडी कैबिनेट से ही मिलनी है।

लक्ष्य साढ़े नौ हजार भर्ती का, हुईं साढ़े नौ सौ से भी कम

उप्र. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने योगी सरकार 2.0 के सौ दिन के कार्यकाल में 9500 युवाओं को नौकरी देने का दावा किया था। लेकिन आयोग सौ दिन में 10 फीसदी से भी कम 940 युवाओं का ही चयन कर सका है।आयोग ने भर्ती के तीन नए विज्ञापन जारी करने, तीन भर्ती परीक्षाएं कराने और चार परीक्षाओं के नतीजे जारी करने का वादा किया था। लेकिन आयोग सिर्फ कनिष्ठ सहायक के 535 पदों और आबकारी सिपाही के 405 पदों के ही भर्ती परिणाम जारी कर सका।

9212 एएनएम भर्ती का कार्य भी निर्धारित समय में पूरा नहीं हो सका है। हालांकि आयोग ने तीन भर्ती परीक्षाओं के आयोजन लक्ष्य की तुलना में पांच परीक्षाएं कराई हैं। इनमें 16 अप्रैल को जेई 2018, 8 मई को एनएनएममुख्य परीक्षा, 22 मई को मंडी परिषद के नक्शा नवीस एवं रोड रोलर चालक और सहायक सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा कराई गई। 3 जुलाई को सहायक बोरिंग टेक्नीशियन की परीक्षाएं शामिल हैं।
विज्ञापन जारी करने व नतीजे देने में भी पिछड़े
आयोग ने तीन नए विज्ञापन जारी करने का लक्ष्य रखा था। इसमें से सिर्फ दो के ही विज्ञापन प्रारंभिक अर्हता परीक्षा-2022 (पीईटी) और प्रवर/अवर सहायक,पूर्ति निरीक्षक निकाले हैं। इसी तरह चार परीक्षाओं के नतीजे घोषित करने के लक्ष्य की तुलना में सिर्फ तीन परीक्षाओं आबकारी सिपाही, कनिष्ठ सहायक और एएनएम की लिखित परीक्षा का ही परिणाम जारी किया है। आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार का कहना है कि आवेदन पत्रों और दस्तावेजों का बारीकी से सत्यापन चल रहा है जिससे भविष्य में कोई दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि आगामी आठ दस दिन में एएनएम चयन पूरा कर लिया जाएगा।

By Tarun

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