हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला प्रवास के तीसरे दिन शनिवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर संघ की पीड़ा जाहिर की। उन्होंने कहा कि सत्ता का रिमोट कंट्रोल संघ के पास नहीं है। यह आरोप निराधार है। धर्मशाला कॉलेज के सभागार में आयोजित पूर्व सैनिक प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 96 वर्ष से आरएसएस का हमेशा विरोध हुआ। लेकिन हम समाज की सेवा में लगे रहे। संघ को तो थोड़ी राहत तब मिली – जब स्वयंसेवक सत्ता में आए। सब बाधाओं को पार कर 96 साल से आरएसएस समाज सेवा करते हुए आगे बढ़ता गया। चीन और पाकिस्तान को संदेश देते हुए परोक्ष रूप से भागवत ने कहा कि भारत की तरफ से कभी किसी से दुश्मनी नहीं रही है। लेकिन दुनिया में दुश्मन होते हैं। कोई दुश्मनी करे तो झुकना नहीं है बल्कि दुश्मन को दबाकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि सैन्य तैयारी को लेकर हमारी सेना की अमेरिका और चीन जैसे देशों से तुलना हो सकती है, लेकिन हौसला, हिम्मत और ताकत के मामले में भारत का सैनिक दुनिया भर में अव्वल है। यह ताकत भारतीय सिपाही में शारीरिक प्रशिक्षण से नहीं बल्कि मन से आती है। भारतीय सैनिक वीरता से लड़ता है। वह सीमा पर काम पूरा करता है या मरता है। आरएसएस पूर्व सैनिकों की चिंता करता है। आरएसएस में पूर्व सैनिक सेवा परिषद संगठन है जो सैन्य परिवारों से संघ की विचारधारा साझा करता है। भागवत ने हिंदुत्व पर भी खुलकर बोला। उन्होंने कहा कि कुछ शब्द हमारे जीवन से चिपक जाते हैं, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। हिंदोस्तान से हिंदू शब्द पड़ा। संघ से हिंदुत्व शब्द चिपक गया है। हिंदुत्व किसी को जीतने की बात नहीं करता है। हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने किया था। हिंदुत्व जोड़ने की बात करता है, किसी को बांटता नहीं। पिछले 40 हजार सालों से सभी भारतीयों का डीएनए एक है। धर्म का अर्थ धारणा है, जो समाज को जोड़ता है। इसका अर्थ हिंदू और मुस्लिम नहीं होता है। भागवत ने कहा कि हम गुलाम इसलिए हुए क्योंकि हम हमेशा बंटे रहे।

 

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